वीडियो : बक्सर के युवक ने पाई हिमालय के कलनाग पर्वत पर विजय ..

अपने शौक को पूरा करने की तरफ कार्य करना शुरू किया, अब तक उन्होंने 15 से 20 पर्वत चोटियों की चढ़ाई की है जिसमें 6500 मीटर ऊंची चढ़ाई शामिल है. जल्द ही वह उत्तराखंड के 7075 मीटर ऊंची माउंट सतो पथ जिसे प्री एवरेस्ट भी कहा जा सकता है उसकी चढ़ाई चढ़ने जा रहे हैं. अगले साल वह 25 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी करेंगे.






- सरेंजा गांव के अमर नाथ चौबे के पुत्र हैं चंदन चौबे
- 10 दिनों में कलानाग पर्वत पर चढ़ने में पाई सफलता

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के चौसा प्रखंड के सरेंजा गांव निवासी एक युवक नंदन चौबे ने हिमालय के कलानाग पर्वत पर सफलतापूर्वक पहुंचने का रिकॉर्ड बनाया है. यह सफलता पाकर उन्होंने न सिर्फ जिले बल्कि प्रदेश का भी नाम रोशन किया है. उन्होंने यह कारनामा 10 दिनों की लंबी और कठिन चढ़ाई के बाद कर दिखाया है. कलानाग पर्वत हिमालय पर्वत श्रृंखला में शामिल पर्वत की चोटी है जो कि उत्तराखंड में स्थित है. इसकी चढ़ाई उन्होंने अपने चार अन्य मित्रों के साथ शुरू की और अंततः सफलता प्राप्त की. नंदन बताते हैं कि अब वह माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं और जल्द ही इसकी तैयारियां शुरू कर देंगे.


सरेंजा निवासी तथा झारखंड में सिंचाई विभाग में कार्यरत अमरनाथ चौबे के पुत्र नंदन चौबे चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं दो भाई नौकरी में है जबकि एक बहन की शादी हो चुकी है वही एक बहन अपनी पढ़ाई पूरी कर रही है जबकि चंदन पर्वतारोही हैं.  उन्होंने 6,387 मीटर ऊंची चोटी पर सफलतापूर्वक चढ़ाई की और भारतीय ध्वज फहरा दिया. 

स्कूलिंग से ही जागा शौक, जल्द ही शुरु होगी प्री-एवरेस्ट की चढ़ाई :

नंदन ने बताया कि उनकी स्कूलिंग हैदराबाद से हुई है 12वीं के बाद उन्होंने पटना एनएन कॉलेज से बीबीए की पढ़ाई की. तत्पश्चात उन्होंने अपने शौक को पूरा करने की तरफ कार्य करना शुरू किया, अब तक उन्होंने 15 से 20 पर्वत चोटियों की चढ़ाई की है जिसमें 6500 मीटर ऊंची चढ़ाई शामिल है. जल्द ही वह उत्तराखंड के 7075 मीटर ऊंची माउंट सतो पथ जिसे प्री एवरेस्ट भी कहा जा सकता है उसकी चढ़ाई चढ़ने जा रहे हैं. अगले साल वह 25 वर्ष की उम्र में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई पूरी करेंगे.

काफी कठिन रही यात्रा : 

उन्होंने अपने अनुभव के बारे में बताया कि उनकी चढ़ाई काफी कठिन रही लेकिन, उन्हें उम्मीद थी कि वह इसे अवश्य पूरा कर लेंगे. इसी उम्मीद पर वह आगे बढ़ते गए और अंततः उन्होंने चढ़ाई पूरी की. उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से पर्वतारोहियों को कुछ सहायता मिले तो वह महंगी और काफी खतरनाक माने जाने वाली इस एडवेंचर और भी बेहतर कर सकें.

कलनागा चोटी का संक्षिप्त परिचय :

विकिपीडिया के मुताबिक कलनागा या काली चोटी, सरस्वती (बंदरपंच) पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है. इसके आसपास के क्षेत्र सरस्वती देवी पर्वत (6316 मीटर) और हनुमान पर्वत (6102 मीटर)है.कलनाग या काली चोटी पर्वत का शाब्दिक अर्थ ब्लैक कोबरा है यह रूइनसारा घाटी के करीब है. इस चोटी पर पहली बार 1955 में जैक गिब्सन और दून स्कूल, देहरादून के छात्रों ने फतह पाई थी.

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