भोजपुरी विभाग में तालाबंदी, खुला पत्र जारी कर कुलपति से मांगा जवाब ..

यह भी कहना था कि कुलपति ने जब 5 सीटों पर सहमति दी तब भी उन्होंने भोजपुरी के लिए अकादमिक कौंसिल के निर्णयों के ध्यान नहीं रखा. आंदोलनकारी संगठनों ने भोजपुरी भाषा के प्रति विश्वविद्यालय की उपेक्षा से जुड़े पोस्टर लगाए थे.






- भोजपुरी संघर्ष वाहिनी थाने संगठनों के द्वारा संघर्ष का शंखनाद
- पूर्व में भी सौंपा ज्ञापन, दी थी आंदोलन की चेतावनी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर/आरा : वीर कुंवर विश्वविद्यालय का भोजपुरी विभाग सुबह से ही पूर्ववर्ती छात्र संघ और भोजपुरी संघर्ष वाहिनी के कब्जे में रहा. लगभग 2 घन्टे की तालाबंदी के बाद विभागाध्यक्ष दिवाकर पांडेय ने आंदोलनकारियों से मिलकर वार्ता की. मामला पीएचडी सत्र 2020 में भोजपुरी विषय की रिक्तियों को शून्य किये जाने का है. ज्ञात हो कि इस मुद्दे पर बीते 11 अगस्त को ही अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, भोजपुरी संघर्ष वाहिनी और पूर्ववर्ती छात्र संघ ने डीएसडब्लू, भोजपुरी विभागाध्यक्ष और कुलपति को ज्ञापन देकर आंदोलन के लिए चेताया था. हफ्ते भर बाद कोई निर्णय न आता देखकर आंदोलन के पहले चरण में आज भोजपुरी विभाग में तालाबंदी की गई. विभागाध्यक्ष द्वारा स्थिति पर जल्द समाधान के लिए कहे जाने के बाद आंदोलनरत संगठनों की ओर से छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष और कुलपति के नाम खुला पत्र जारी कर यह सवाल किया गया है कि सत्र 2020 में दुबारा पोर्टल जब खुला तो तत्कालीन हिंदी विभागाध्यक्ष ने भोजपुरी के लिए आरक्षित सीटों पर अकादमिक कौंसिल के निर्णयों का पालन क्यों नहीं किया तथा 5 रिक्तियों की सूचना बिना भोजपुरी विभाग से सम्पर्क किये संयोजक की बजाय सीधे परीक्षा नियंत्रक को कैसे दी? परीक्षा नियंत्रक ने किन नियमों के तहत 5 की बजाय 20 सीटों के लिए आवेदन लिया और उसमें भी भोजपुरी को अनदेखा क्यों किया? 





छात्रों का यह भी कहना था कि कुलपति ने जब 5 सीटों पर सहमति दी तब भी उन्होंने भोजपुरी के लिए अकादमिक कौंसिल के निर्णयों के ध्यान नहीं रखा. आंदोलनकारी संगठनों ने भोजपुरी भाषा के प्रति विश्वविद्यालय की उपेक्षा से जुड़े पोस्टर लगाए थे. आगामी सात दिनों के अंदर डीएसडब्लू और कुलपति द्वारा भोजपुरी समाज को निर्णयों से अवगत नहीं कराया गया तो आंदोलन और तेज़ होगा. सेमेस्टर 1 और 4 के छात्र आज सुबह से परीक्षा फॉर्म भरने के लिए विभाग में आये थे मगर घेराव में उनका भी सहयोग रहा.  आंदोलन में चर्चित भोजपुरी रंगकर्मी और रंगश्री के संस्थापक महेंद्र प्रसाद सिंह, भोजपुरिया जन मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कुमार शीलभद्र की उपस्थिति रही और उन्होंने छात्रहित तथा भोजपुरी के उचित पठन-पाठन की व्यवस्था के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रयास करने का अनुरोध किया. आंदोलन में शामिल होने वाले प्रमुख व्यक्तियों में भोजपुरी संघर्ष वाहिनी के स्यंदन सुमन, दिनेश त्रिपाठी पूर्ववर्ती छात्र संघ के सुशील कुमार सिंह, आनंद प्रकाश, विभाग प्रमुख सोहित सिन्हा, श्रुति मिश्र संजय कुमार, राजेश कुमार, रविरंजन कुशवाहा, अभिषेक प्रीतम, हिमांशु प्रीतम के अलावा कई शोधार्थी और छात्र उपस्थित थे 






















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