खून के आंसू रुला रही प्रकृति, त्राहिमाम कर रही जनता, अधिकारी कह रहे - "ऑल इज वेल" ..

बताया कि आपदा की इस परिस्थिति में जिला नियंत्रण कक्ष के नंबर 06183-223333 पर संपर्क किया जा सकता है. डीपीआरओ के इस कथन की पुष्टि करने के लिए जब इस नंबर पर संपर्क किया गया तो यह ज्ञात हुआ कि यह नंबर फिलहाल कार्य नहीं कर रहा. ऐसे में सहज इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी आपदा को लेकर कितने तत्पर हैं.



बांध पर डेरा डाले शरणार्थी

- जिले के ग्यारह प्रखंडों में पांच बाढ़ व छह सुखाड़ की चपेट में
- प्रशासनिक बदइंतजामी के कारण बढ़ रही परेशानी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले में प्रकृति लोगों को अब खून के आंसू रुला रही है. एक तरफ जहां पांच प्रखंडों के दर्जनोंगाँव जहां बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. वहीं, दूसरी तरफ छह प्रखंडों में सुखाड़ जैसी स्थिति बनी हुई है, जिससे किसान व आमजन त्राहिमाम कर रहे हैं लेकिन, आपदा को सदैव अवसर मानने वाले अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. हालात यह है कि जिन किसानों के बीच कुछ दिन पूर्व तक "पानी के लिए हाहाकार" था उनके बीच अब "पानी से हाहाकार" मचा हुआ है लेकिन, प्रशासनिक इंतजामों की स्थिति यह है कि अब तक केवल आश्रय स्थल चिह्नत किए गए हैं. वहाँ लोगों के रुकने तथा भोजन आदि के प्रबंध के संदर्भ में कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं ऐसे में लोगों ने तटबंध पर शरण ले रखी है. आपदा प्रबंधन सह जिला पंचायती राज पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार की माने तो जिले में लोगों को अभी कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि, अब तक उनसे किसी ने संपर्क नहीं किया जबकि दियारा इलाकों के के लोगों का यह कहना है कि पिछले एक सप्ताह से वह लगातार प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं लेकिन, उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
पुराने तिरपाल से तटबंध को बनाया नया आशियाना

पहले सुखाड़ और अब बाढ़, पड़ी है दोहरी मार :

जिले में किसानों की हालत बद से बदतर हो गई है क्योंकि जिन्होंने मौसम की बेरुखी के कारण मानसून में देरी होने की वजह से खेती नहीं कि उन्हें एक तरफा मार पड़ी है लेकिन, जिन लोगों ने खेती करने के लिए डीजल के मद में हजारों रुपए खर्च किए उनके खेत में पानी लग जाने के कारण उन्हें दोहरी मार पड़ रही है. किसानों का कहना है कि खेत में पानी लग जाने के कारण फसल बिल्कुल ही चौपट हो गई. हालांकि, परेशानी अभी कम नहीं हो रही, केंद्रीय जल आयोग के कनीय अभियंता प्रशांत चौरसिया बताते हैं कि गंगा जलस्तर सुबह 10:00 बजे 60.63 मीटर के स्तर पर पहुंच चुका है जो कि प्रति दो घंटे पर एक सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ता जा रहा है.

बंद कर दिया गया बक्सर - मोहनिया मार्ग

बंद है जिला नियंत्रण कक्ष का नंबर :

सूचना सह जन संपर्क पदाधिकारी विनोद कुमार ने बताया कि आपदा की इस परिस्थिति में जिला नियंत्रण कक्ष के नंबर 06183-223333 पर संपर्क किया जा सकता है. डीपीआरओ के इस कथन की पुष्टि करने के लिए जब इस नंबर पर संपर्क किया गया तो यह ज्ञात हुआ कि यह नंबर फिलहाल कार्य नहीं कर रहा. ऐसे में सहज इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अधिकारी आपदा को लेकर कितने तत्पर हैं.
महिला की मौत पर मातम

बढ़ा विषैले जीव-जंतुओं का खतरा, सर्पदंश से महिला की मौत :

जिले के अधिकारी भले ही स्थिति की गंभीरता को ना समझे लेकिन स्थिति कितनी गंभीर हो चुकी है इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि बाढ़ ग्रस्त इलाकों में विषैले जीव जंतुओं लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. अपनी पति की लंबी उम्र के लिए तीज का व्रत करने की तैयारी कर रही एक महिला सोमवार को सर्पदंश का शिकार हो गई. घटना जिले के कोचाढ़ी गाँव की है.
एक नाव पर कई बाइक लादते नाविक

आपदा बना अवसर लेकिन, गहराया जीवन पर संकट :

यह बात जगजाहिर है कि आपदा सदैव  लोगों के लिए अवसर बनती रही है. देश के प्रधानमंत्री ने जब कोरोना संक्रमण काल में यह बात कही तो लोगों ने इसे अपने अपने ढंग से परिभाषित किया. आज एक बार फिर बाढ़ में लोग इसे अपने ढंग से अपने फायदे के लिए परिभाषित कर रहे हैं. कोचस बक्सर-रामगढ़ मार्ग पर बाढ़ के कारण नौका चलाई जा रही है. पहचान के लिए इस पर लाल झंडे लगाए गए हैं. यह सेवा पूरी तरह से नि:शुल्क है लेकिन, तब तक कि जब तक वहां अधिकारी मौजूद हो. जैसे ही वहां से अधिकारी हटते हैं यह झंडा भी हटा दिया जाता है और नौका पर लोगों के साथ-साथ बाइक भी लाद कर इस पार से उस पार भेजी जाती है. जिसके लिए मनमाना शुल्क भी वसूला जा रहा है लेकिन, यह खेल कब लोगों की जान पर भारी पड़ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता.
गंगा में डूबे युवक की तलाश जारी


घाट पर ना गोताखोर ना चौकीदार, युवक हुआ शिकार :

रामरेखा घाट के पुजारी अमरनाथ पांडे उर्फ लाला बाबा कहते हैं कि प्रशासन ने घाटों पर निषेधाज्ञा लगाई हुई लेकिन, घाटों पर लोग आराम से स्नान कर रहे हैं. यहां ना तो गोताखोर की व्यवस्था है और ना ही चौकीदार की. ऐसे में लोगों को जान-जोखिम में डालने से ना तो कोई रोकने टोकने वाला और ना ही कोई बचाने वाला है. ऐसे में कभी भी यहां कोई बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने बताया कि सदर प्रखंड के उमरपुर में सोमवार को स्नान करने गए युवक के डूबने से यह बात और भी स्पष्ट हो गई है.
हाल जिला मुख्यालय के सारीमपुर का

सारीमपुर में भी घुसा बाढ़ का पानी, नहर के अतिक्रमण से शांति नगर में परेशानी

धीरे-धीरे लेकिन बढ़ता जलस्तर धीमी रफ्तार से ही सूखे इलाकों को अपने आगोश में ले रहा है. जिला मुख्यालय स्थित शांति नगर और सारीमपुर इलाके में पानी प्रवेश कर जाने से आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. राजद झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष संतोष भारती बताते हैं कि शांति नगर के कई गरीब लोग प्रशासन की गलती के कारण डूबे हैं. उनका कहना है कि ज्योति प्रकाश चौक के पास नहर के ऊपर जो डायवर्जन बना था उसे पूरी तरह नहीं तोड़ने के कारण इस इलाके के लोगों को ज्यादा परेशानी है क्योंकि, पानी धीरे-धीरे कर निकलता है उसके कारण झोपड़िया डूब जाती हैं.

डूबते जा रहे आवागमन के मार्ग

बहरहाल, जिले में आपदा की स्थिति में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए प्रशासनिक व्यवस्थाएं कब तक जमीनी स्तर पर दुरुस्त हो पाएंगी यह कहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है लेकिन, जनता को अब भी यह उम्मीद है कि गहरी नींद में सो रहे पदाधिकारी निश्चय ही एसी चैंबर से निकलकर उनका दर्द जानने के लिए उनके पास जरूर पहुंचेंगे.


















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