वीडियो : बकरे से ऐसा प्रेम! मृत्यु के बाद निकाली 35 किलोमीटर की यात्रा, विधि-विधान से किया अंतिम संस्कार ..

अंतिम यात्रा में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि बकरा जानवर जरूर था लेकिन, ग्रामीणों के लिए पुत्र समान था. ऐसे में हिंदू रीति-रिवाज के तहत उसका अंतिम संस्कार तो किया ही गया नियत समय पर ब्रह्मभोज का भी आयोजन किया जाएगा.

 




- जिले के के साथ में लोगों ने देश की पशु प्रेम की अनोखी मिसाल
- बक्सर के वरिष्ठ चिकित्सक ने भी की ग्रामीणों की तारीफ़

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : कोरोना संक्रमण काल में जहां  मनुष्यता कई बार तार-तार हुई थी और कई ऐसे नज़ारे देखने को मिले थे जिसके बाद इंसानियत पर से भरोसा ही उठ गया. लोग अपने स्वजनों के शव को भी अस्पताल में छोड़कर भाग जा रहे थे. मजबूरन सफाई कर्मियों के द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया जा रहा था. रिश्तों को लेकर जो भ्रम आमतौर पर लोग पाले रखते हैं, वह सभी भ्रम कोरोना संक्रमण काल में टूट गए थे लेकिन, इंसानियत आज भी जिंदा है इस बात का सबूत मंगलवार को जिले के केसठ गांव में मिला जहां एक जानवर की मौत पर विधि-विधान से उसका अंतिम संस्कार किया गया. गाजे-बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा भी निकाली गई. पशु प्रेम की ऐसी मिसाल देखकर हर आंख नम हो गई.



दरअसल, बक्सर जिले के डुमरांव अनुमंडल अंतर्गत केसठ गांव में एक बकरे की मौत हो गई थी. उसके मौत के बाद सामूहिक रूप से उसका पालन कर रहे ग्रामीण व्यथित हो गए. वह उसका लालन-पालन पुत्रवत कर रहे थे. पिछले दस दिनों से बकरा बीमार था, जिसको बचाने के लिए ग्रामीणों ने हर स्तर पर उसका इलाज कराया लेकिन, जब उसकी मौत हो गई तो पूरे गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया. बाद में नम आंखों से ग्रामीणों ने उसकी अंतिम यात्रा निकाली. इस दौरान बैंड बाजे भी बजे और "राम नाम सत्य है .." का वाक्य भी गूंजता रहा. लोगों ने केसठ से बक्सर तक पैंतीस किलोमीटर का सफर तय कर मुक्तिधाम में पहुंच उसके शव को गंगा में प्रवाहित किया.


बकरे की अंतिम यात्रा में शामिल ग्रामीणों ने कहा कि बकरा जानवर जरूर था लेकिन, ग्रामीणों के लिए पुत्र समान था. ऐसे में हिंदू रीति-रिवाज के तहत उसका अंतिम संस्कार तो किया ही गया नियत समय पर ब्रह्मभोज का भी आयोजन किया जाएगा. ग्रामीणों के पशु प्रेम को देखकर जिले के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ राजीव झा ने कहा कि इन ग्रामीणों ने शहर के बड़े-बड़े मकानों में रहने वालों की आंखें खोलने का काम किया है. जहां लोग अपने माता-पिता को अस्पताल के बेड पर छोड़ कर भाग जाते हैं वहीं, ग्रामीणों के पशु प्रेम को मैं भी झुक कर सलाम करता हूं.

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