मूर्तियों के निर्माण और उपरी संरचना को खड़ा करने में प्लास्टर ऑफ पेरिस (P.O.P) का उपयोग नहीं किया जायेगा एवं मूतियों को प्राकृतिक सामग्री तथा पारंपरिक बांस, पुआल, मिट्टी आदि से बनाया जायेगा. मूर्तियों के निर्माण और उपरी संरचना के निर्माण में पारा कॅडमियम, आसैनिक, शीशा और क्रोमियम जैसी जहरीली भारी धातुओं वाले कृत्रिम रंग का उपयोग नहीं किया जायेगा.
- 20 फीट की प्रतिमाएं, 40 फीट का होगा पंडाल
- अनुमंडल पदाधिकारी ने की बैठक, दिए दिशा-निर्देश
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा दुर्गा पूजा को लेकर पूजा समितियों के लिए कई दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. दिशा-निर्देशों से पूजा समिति के लोगों, मूर्ति निर्माताओं तथा शांति समिति के लोगों को इनसे अवगत कराने के लिए अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय में एक बैठक का आयोजन किया गया. एसडीएम धीरेंद्र कुमार मिश्रा ने बताया कि प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण ) अधिनियम , 1974 ( 1974 का 6 ) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत अधिसूचित बिहार (पूजा के उपरान्त मूर्ति विसर्जन प्रक्रिया) नियमावली , 2021 के तहत पूजा समितियों द्वारा की जाने वाली अनिवार्य घोषणाओं में यह साफ करना होगा कि मूर्तियों के निर्माण और उपरी संरचना को खड़ा करने में प्लास्टर ऑफ पेरिस (P.O.P) का उपयोग नहीं किया जायेगा एवं मूतियों को प्राकृतिक सामग्री तथा पारंपरिक बांस, पुआल, मिट्टी आदि से बनाया जायेगा. मूर्तियों के निर्माण और उपरी संरचना के निर्माण में पारा कॅडमियम, आसैनिक, शीशा और क्रोमियम जैसी जहरीली भारी धातुओं वाले कृत्रिम रंग का उपयोग नहीं किया जायेगा. मूर्ति की उंचाई 20 फीट तक सीमित रहेगी तथा उपरी संरचना ( पंडाल ) की उंचाई 40 फीट तक सीमित रहेगी.
विसर्जन के समय मूर्ति विसर्जन की प्रक्रिया के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा जारी सभी दिशा - निर्देशों, जिसमें मूर्ति विसर्जन से संबंधित केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,दिल्ली द्वारा जारी दिशा - निर्देश भी शामिल होंगे का पालन किया जायेगा.
प्राकृतिक रंगों से रंगी जाएंगी प्रतिमाएं :
अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा कि प्रत्येक पूजा समिति सुनिश्चित करेगी कि मूर्तियों को पानी में घुलनशील और गैर विषैले प्राकृतिक रंगो से रंगा जायेगा. मूर्तियों की रंगाई के लिए जहरीले और गैर-जैव विघटनीय रासायनिक रंगों और कृत्रिम रंगों का उपयोग नहीं किया जायेगा. पूजा सामग्री जैसे फूल, कागज, अन्य वस्तओं से बनी सजावटी सामग्रियों को मूर्तियों के विसर्जन से पहले हटा लिया जायेगा और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमावली, 2016 के अनुसार निपटान के लिए जैव - विघटनीय सामग्रियों को अलग से एकत्रित किया जाएगा.
नियमों का उल्लंघन होने पर होगी कार्रवाई :
बैठक में यह भी स्पष्ट किया गया कि प्रत्येक पूजा समिति द्वारा बनाए गए पंडालों में या उनके निर्देश पर किसी और व्यक्तियों के माध्यम से मूर्तियों को बनवाती है तो इन नियमों के किसी प्रावधान के उल्लंघन के लिए संबंधित पूजा समिति एवं संबंधित व्यक्ति (मूर्तिकार) उत्तरदायी होंगे और इस तरह के उल्लंघन के लिए राज्य पर्षद् द्वारा नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई की जा सकेगी.
उन्होंने कहा कि प्रतिमा विसर्जन के लिए शासन के द्वारा निर्धारित स्थलों के अतिरिक्त किसी अन्य जलस्रोत में विसर्जन पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा.
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