मध्याह्न भोजन में मेंढक मिलने के बाद चार दिन से भूखे थे बच्चे, अब एमडीएम पूरी तरह बंद ..

शुक्रवार को तो हद हो गई जब भोजन में मरा हुआ मेंढक मिला. उसे देखने के बाद बच्चों ने स्वतः भोजन करने से इंकार कर दिया. दूसरे दिन भी भोजन पहुंचाया गया तो उस दिन खिचड़ी के साथ दिया गया चोखा खराब हो चुका था. ऐसे भी उस दिन भी बच्चों को भोजन देना उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना था. लिहाजा उन्हें भोजन करने से रोका गया. तीसरे दिन सोमवार को भोजन विलंब से पहुंचा लेकिन, जब पहुंचा तो उसमें मेंन्यू के हिसाब से भोजन नहीं था.




- भोजन की खराब गुणवत्ता की शिकायत पर चार दिनों से भूखे हैं बच्चे
- विद्यालय शिक्षा समिति ने भोजन बंद कराने का लिया फैसला

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बच्चों को विद्यालय से जोड़ने एवं उनके बौद्धिक के साथ-साथ शारीरिक विकास के मद्देनजर विद्यालयों में मिड डे मील यानी कि मध्याह्न भोजन की व्यवस्था सरकार के द्वारा की गई है लेकिन मध्याह्न भोजन में गुणवत्ता की कमी होने की शिकायत सदैव प्राप्त होती है. इसी तरह की एक शिकायत सामने आने के बाद अब जिला मुख्यालय के समाहरणालय के समीप अवस्थित आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय के बच्चे पिछले चार दिनों से भोजन ही नहीं कर पा रहे हैं. इसी बीच विद्यालय शिक्षा समिति के द्वारा बैठक कर सोमवार से भोजन लेना ही बंद कर दिया गया.




दरअसल, पहले दिन (बीते शुक्रवार को) भोजन में मरा हुआ मेंढक मिलने की बात सामने आने के बाद जहां बच्चों को भोजन नहीं करने दिया गया वहीं, दूसरे दिन(शनिवार को) एक बार फिर भोजन की गुणवत्ता खराब होने की शिकायत करते हुए बच्चों को भोजन करने से वंचित कर दिया गया. सोमवार को जब पुनः विद्यालय में भोजन पहुंचा तो एक बार फिर गुणवत्ता खराब होने की शिकायत की गई और भोजन लौटा दिया गया. भोजन लौटाने के पश्चात विद्यालय शिक्षा समिति की एक बैठक की गई जिसमें यह तय किया गया कि अब बच्चों को भोजन नहीं दिया जाएगा. ऐसे में बच्चों के समक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो गई है. साथ ही सरकार की महत्वकांक्षी योजना पर भी ग्रहण लग रहा है. हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी इसे गलत बता रहे हैं और यह कह रहे हैं कि भोजन के गुणवत्ता की जांच करने के उपरांत बच्चों को भोजन प्रदान करना चाहिए. बच्चों को भोजन से वंचित रखना कतई उचित नहीं है.

पहले दिन मिला मरा हुआ मेंढक, दूसरे दिन चोखा खराब, तीसरे दिन बगैर मेन्यू के मिला एमडीएम : 

विद्यालय के शिक्षक उमेश कुमार बताते हैं कि भोजन की गुणवत्ता तो पूर्व में भी खराब रहती थी लेकिन शुक्रवार को तो हद हो गई जब भोजन में मरा हुआ मेंढक मिला. उसे देखने के बाद बच्चों ने स्वतः भोजन करने से इंकार कर दिया. दूसरे दिन भी भोजन पहुंचाया गया तो उस दिन खिचड़ी के साथ दिया गया चोखा खराब हो चुका था. ऐसे भी उस दिन भी बच्चों को भोजन देना उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ करना था. लिहाजा उन्हें भोजन करने से रोका गया. तीसरे दिन सोमवार को भोजन विलंब से पहुंचा लेकिन, जब पहुंचा तो उसमें मेंन्यू के हिसाब से भोजन नहीं था. मिश्रित दाल की जगह केवल चने की दाल थी जिसमें दाल कम और पानी ज्यादा था वहीं, हरी सब्जी के नाम पर आलू के साथ दो-चार कद्दू के टुकड़े भेजे गए थे. ऐसे में भोजन को वापस कर दिया गया और तुरंत ही विद्यालय शिक्षा समिति की एक बैठक बुलाई गई. बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जब तक भोजन की गुणवत्ता में सुधार नहीं होता तब तक भोजन नहीं लिया जाएगा.

500 से ज्यादा बच्चे हैं नामांकित, एक पाली के बच्चे लगातार नहीं कर रहे भोजन :

आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय दो पालियों में चलता है. जिसमें दोनों पार्टियों को मिलाकर 500 से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं. ऐसे में यह माना जा सकता है कि एक पाली में ढाई सौ से ज्यादा बच्चे नामांकित हैं. पहले दिन भोजन में मेंढक मिलने की बात सामने आने के बाद जहां दोनों पारियों के बच्चों ने भोजन नहीं किया वहीं, दूसरे दिन पुनः एक पाली के बच्चों को भोजन नहीं दिया गया. तीसरे और चौथे दिन भी यही स्थिति बनी हुई है हालांकि, शिक्षा विभाग के अधिकारी इस स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बता रहे हैं और इसे बच्चों के अधिकारों का हनन करार दे रहे हैं. उनका मानना है कि यदि यही स्थिति रही तो बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

फूड क्वालिटी टेस्टिंग और खाने की वीडियोग्राफी कराकर जांचनी होगी गुणवत्ता :

शिक्षा विभाग के डीपीओ (मध्याह्न भोजन) नाज़िश अली बताते हैं कि न्यायालय के दिशानिर्देशों के आलोक में बच्चों को एनजीओ के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. एनजीओ को भी फिलहाल 3 महीने का राशन उपलब्ध कराया जा चुका है ऐसे में यदि विद्यालय शिक्षा समिति के माध्यम से भोजन बनाने की योजना भी बनाई जाए तो वह तीन माह बाद ही कार्यान्वित हो सकती है. तो क्या तीन महीने तक बच्चों को बिना भोजन के तो रखा नहीं जा सकता. ऐसे में विद्यालय के प्रधानाध्यापक तथा शिक्षा समिति के लोग भोजन की गुणवत्ता की जांच और वीडियोग्राफी कराने के बाद ही भोजन प्राप्त करें. जरूरत पड़ने पर स्वास्थ्य विभाग की एक टीम फूड क्वालिटी की टेस्टिंग भी कर सकती है.

कहते हैं अनुमंडल पदाधिकारी : 

भोजन की गुणवत्ता खराब होने की शिकायत के आलोक में जिला पदाधिकारी के निर्देश पर शिक्षा विभाग के अधिकारी लगातार मामले मामले की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. जल्द ही डीएम के द्वारा कोई निर्णय लिया जाएगा. जिसके आलोक में आगे की कार्रवाई होगी.

धीरेंद्र कुमार मिश्रा
अनुमंडल पदाधिकारी







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