वीडियो : नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी ने छोटा घोटाला नहीं बल्कि बड़ा कांड किया : मतिउर्रहमान

नगर परिषद जनता के टैक्स के पैसे से चलता है और जनता को अपने टैक्स के पैसों का हिसाब लेने का अधिकार है. ऐसे में भ्रष्ट पदाधिकारी को इस बात का जवाब देना ही होगा. उन्होंने कहा कि अब ऐसा कभी नहीं हो सकता है कि कोई पदाधिकारी जनता के पैसों से अपने निजी शौक पूरे करें.





- डस्टबिन के ढक्कन और स्टैंड फेंके जाने के मामले ने पकड़ा तूल
- सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, जनता के टैक्स के पैसों का हिसाब देना होगा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : नगर परिषद कार्यालय के छत पर डस्टबिन के ढक्कन और स्टैंड फेंके जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम ने इस संदर्भ में यह कहा है कि इसे घोटाला कहना उचित नहीं होगा. इस बात का समर्थन सामाजिक कार्यकर्ता मतिउर्रहमान ने भी किया है. उन्होंने कहा कि निश्चय ही यह कोई छोटा मोटा घोटाला नहीं है. यह तो एक बहुत बड़ा कांड है और ऐसे कई कांड नगर परिषद में होते रहते हैं. ऐसे में घोटाला इसके लिए बहुत ही छोटा शब्द हो जाएगा. उन्होंने भ्रष्ट कार्यपालक पदाधिकारी की कार्यशैली की जांच की मांग जिला पदाधिकारी से की है.




यह पूछे जाने पर कि नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी यह कहती हैं कि यह नगर परिषद का निजी मामला है. सामाजिक कार्यकर्ता ने स्पष्ट किया कि यह नगर परिषद का निजी मामला हो ही नहीं सकता क्योंकि, नगर परिषद जनता के टैक्स के पैसे से चलता है और जनता को अपने टैक्स के पैसों का हिसाब लेने का अधिकार है. ऐसे में भ्रष्ट पदाधिकारी को इस बात का जवाब देना ही होगा. उन्होंने कहा कि अब ऐसा कभी नहीं हो सकता है कि कोई पदाधिकारी जनता के पैसों से अपने निजी शौक पूरे करें. यदि ऐसा होता है तो ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध बड़ा जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा.

यहां पाठकों को बता दें कि नगर परिषद कार्यालय भवन के ऊपर सैकड़ों की संख्या में डस्टबिन के ढक्कन एवं डस्टबिन के स्टैंड फेंके हुए हैं. ऐसे में एक बड़ा सवाल ये उठता है कि जब डस्टबिन के ढक्कन और स्टैंड मौजूद है तो डस्टबिन कहां गए? इस बारे में जानकारी लेने के लिए जब कार्यपालक पदाधिकारी से बात की गई थी तो उन्होंने कहा था कि यह नगर परिषद का अंदरूनी मामला है. ऐसे में वह इस पर कुछ नहीं कह सकती लेकिन, अब इस मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है. नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी ने इस संदर्भ में एक पत्र भी जारी किया है और कहा है कि घोटाला कहना उचित नहीं है.

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