न्यायालय के द्वारा पहले ही फैसला दे दिया जाता तो जिन अभ्यर्थियों के लाखों रुपये बर्बाद हुए हैं वह नहीं होते. कई बार ऐसा देखा गया है कि कई मामलों में न्यायालय छुट्टियों के दिनों में भी खोला जाता है और फैसले सुनाए जाते हैं. लेकिन, इस मामले में न्यायालय के द्वारा ऐसा नहीं किया गया.
- कहा, निकाय चुनाव को लेकर हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार
- जातिगत जनगणना नहीं करा कर केंद्र सरकार ने दिखा दिया है पिछड़ा विरोधी चेहरा
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले में पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री तथा जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने बिहार में स्थगित हुए नगर निकाय चुनाव को लेकर न्यायालय पर निशाना साधा है. उनका कहना है कि यदि चुनाव को लेकर न्यायालय के द्वारा पहले ही फैसला दे दिया जाता तो जिन अभ्यर्थियों के लाखों रुपये बर्बाद हुए हैं वह नहीं होते. कई बार ऐसा देखा गया है कि कई मामलों में न्यायालय छुट्टियों के दिनों में भी खोला जाता है और फैसले सुनाए जाते हैं. लेकिन, इस मामले में न्यायालय के द्वारा ऐसा नहीं किया गया.
दूसरी तरफ उन्होंने भाजपा के द्वारा लगाए गए आरोपों पर कहा कि जिन राज्यों में चुनाव हुए हैं वहां न्यायालय के आदेश पर जातियों की जनगणना भी हुई है. लेकिन, केंद्र सरकार से बार-बार मांग करने पर भी वह जातीय जनगणना कराने से बचती रही है और अब वह नीतीश सरकार को पिछड़ा वर्ग का विरोधी बता रही है. जबकि, जातीय जनगणना ना कराकर भाजपा ने स्वयं यह साबित कर दिया है कि कौन पिछड़ा वर्ग का विरोधी है. उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले के विरुद्ध बिहार की सरकार उच्चतम न्यायालय में परिवाद दायर करेगी. किसी भी सूरत में पिछड़ा वर्ग के अधिकारों का हनन नहीं होने दिया जाएगा.
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