कॉलेजियम सिस्टम के कारण गरीब के बच्चे नहीं बन पाते न्यायाधीश : उपेंद्र कुशवाहा

उन्होंने कहा कि देश के असंख्य गरीब प्रतिभावान बच्चे पढ़ लिख कर आइएएस/आइपीएस तो बन जाते हैं लेकिन, न्यायाधीश नहीं बन पाते हैं. वहां का दरवाजा उनके लिए बंद रखा गया है. यह बच्चे किसी एक जाति अथवा वर्ग के नहीं होते बल्कि, सभी जातियों के गरीब बच्चे होते हैं. 




- कहा, न्यायिक पदाधिकारी के चयन में नहीं बढ़ती जाति पारदर्शिता
- चौसा में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान बोल रहे थे पूर्व केंद्रीय मंत्री

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : पूर्व केंद्रीय मंत्री सह जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि न्यायाधीशों के चयन की प्रक्रिया कॉलेजियम सिस्टम में काफी त्रुटियां हैं. वहां सब कुछ पारदर्शी नहीं है. ऐसे में केवल 300 परिवारों के बच्चे ही न्यायाधीश बनते हैं. जबकि, देश की एक बड़ी आबादी न्यायिक सेवाओं में जज की कुर्सी तक नहीं पहुंच पाती. वैसे ही इस सिस्टम को ठीक किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि वह न्यायालय के विरुद्ध बोलने वाले कोई पहले व्यक्ति नहीं हैं. विभिन्न में न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों ने कई बार इस व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं.



सोमवार को चौसा में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि देश के असंख्य गरीब प्रतिभावान बच्चे पढ़ लिख कर आइएएस/आइपीएस तो बन जाते हैं लेकिन, न्यायाधीश नहीं बन पाते हैं. वहां का दरवाजा उनके लिए बंद रखा गया है. यह बच्चे किसी एक जाति अथवा वर्ग के नहीं होते बल्कि, सभी जातियों के गरीब बच्चे होते हैं. कुशवाहा ने कहा कि केंद्र में मंत्री रहते हुए ही उन्होंने इस तरह की बात को महसूस किया था कि इस व्यवस्था को बदलने की नितांत आवश्यकता है. प्रेस वार्ता के दौरान जिलाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह, मुख्य प्रवक्ता प्रेम कुशवाहा, दीनानाथ ठाकुर, धीरज कुशवाहा, संजय सिंह राजनेता समेत कई पार्टी कार्यकर्ता मौजूद रहे. प्रेस वार्ता के बाद वह कैमूर के लिए रवाना हो गए







Post a Comment

0 Comments