बाद में अस्पताल से छुट्टी देते समय चिकित्सक के द्वारा उसके परिजनों को एक सिरप की शीशी दे दी गई और कहा गया इसे दिन में दो बार पिलाना है. बाद में जब परिजनों ने बच्ची को सिरप पिलाया तो पीने के साथ ही उसकी तबीयत खराब होने लगी. उसका शरीर पहले काला और फिर सफेद होने लगा.
- नगर के फरिदिया चाइल्ड केयर अस्पताल में किया गया था इलाज़
- चिकित्सक डॉक्टर तनवीर फरीदी ने किया था इलाज कहा, कमजोर थी बच्ची
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के पीपरपान्ती रोड स्थित फरीदिया चाइल्ड केयर अस्पताल में एक माह की बच्ची की मौत होने के बाद परिजनों ने विरोध शुरु कर दिया. उनका कहना था कि एक माह की बच्ची जब बीमार हुई तो उसे अस्पताल में लाया गया जहां चिकित्सक डॉक्टर तनवीर फरीदी के द्वारा जो दवा दी गई उसे बच्ची को पिलाया गया लेकिन, दवा पीने के बाद बच्ची का शरीर काला पड़ गया और फिर उसने दम तोड़ दिया. मामले में जब चिकित्सक से बात की गई तो वह अपनी गलती मानने को तैयार नहीं थे. उनका कहना था कि कोई भी व्यक्ति विटामिन की यही दवा लिखेगा अब अगर इसे पीने के बाद बच्ची की मौत हो जाए तो निश्चित रूप से वह कमजोर होगी. बाद में किसी तरह स्थानीय लोगों को की पहल पर विवाद को शांत कराया गया.
घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक बड़का सिंहनपुरा निवासी सोमनाथ ओझा अपनी एक माह की पुत्री की तबीयत खराब होने पर उसे अस्पताल में लेकर फरीदिया चाइल्ड केयर सेंटर पहुंचे थे जहां बच्चे को भर्ती कर उसका इलाज किया गया. बाद में अस्पताल से छुट्टी देते समय चिकित्सक के द्वारा उसके परिजनों को एक सिरप की शीशी दे दी गई और कहा गया इसे दिन में दो बार पिलाना है. बाद में जब परिजनों ने बच्ची को सिरप पिलाया तो पीने के साथ ही उसकी तबीयत खराब होने लगी. उसका शरीर पहले काला और फिर सफेद होने लगा.
बाद में परिजन उसे लेकर बाइपास रोड के मां मुंडेश्वरी अस्पताल पहुंचे जहां चिकित्सक डॉ पीके पांडेय ने बताया कि बच्ची को सडेन इन्फेंट डेथ सिंड्रोम हो जाने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका है. मामले में चिकित्सक डॉ तनवीर फरीदी से बात करने पर उन्होंने बताया कि परिजनों का यह कहना है कि सिरप पीने के बाद बच्ची की मौत हुई है लेकिन, इस बात को सकारात्मक ढंग से लिया जाना चाहिए.
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