वीडियो : पहले भी भोजन में मिली है छिपकली और कॉकरोच, ब्लैकलिस्टेड एनजीओ को अधिकारियों का संरक्षण : विधायक

कोरोना संक्रमण काल में चुरामनपुर मध्य विद्यालय तथा बरुना मध्य विद्यालय में भोजन में छिपकली और कॉकरोच मिलने की बात सामने आई थी, जिसके बाद से इस एनजीओ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था लेकिन, शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से एक बार फिर एनजीओ भोजन देना प्रारंभ कर चुका है.




- आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय में मध्याह्न भोजन में मेंढक मिलने का मामला
- विधायक ने कहा, सदर प्रखंड में ही पूर्व में भोजन की गुणवत्ता खराब होने की रही शिकायत

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला मुख्यालय के आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय के बच्चों को मध्याह्न भोजन में मरा हुआ मेंढक दिए जाने के मामले के सामने आने के बाद जहां पिछले एक हफ्ते से ज्यादा समय से बच्चों को भोजन नहीं दिया जा रहा है वहीं, सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी ने इस विषय पर अधिकारियों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है. उनका कहना है कि विद्यालय में जिस एनजीओ के द्वारा भोजन दिया जा रहा है वह एनजीओ पहले से ही ब्लैकलिस्टेड है. कोरोना संक्रमण काल में चुरामनपुर मध्य विद्यालय तथा बरुना मध्य विद्यालय में भोजन में छिपकली और कॉकरोच मिलने की बात सामने आई थी, जिसके बाद से इस एनजीओ पर प्रतिबंध लगा दिया गया था लेकिन, शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से एक बार फिर एनजीओ भोजन देना प्रारंभ कर चुका है. ऐसे में वह इस मामले को लेकर जिले के अधिकारियों के साथ-साथ शिक्षा मंत्री से भी सवाल उठाएंगे. 



बता दें कि बीते सात अक्टूबर को आचार्य नरेंद्र देव मध्य विद्यालय के मध्याह्न भोजन में एक मरा हुआ मेंढक मिला था, जिसके बाद बच्चों ने भोजन करने से इंकार कर दिया था. इस संदर्भ में जब एनजीओ संचालक से बातचीत की गई तो उन्होंने यह कहा कि भोजन में मरा हुआ मेंढक नहीं हो सकता है. यह निश्चित रूप से विद्यालय के किसी कर्मी अथवा शिक्षक की शरारत है लेकिन, दूसरे और तीसरे दिन भी लगातार भोजन खराब आने के बाद विद्यालय शिक्षा समिति की एक बैठक बुलाई गई और यह तय किया गया कि अब भोजन तब तक नहीं लिया जाएगा जब तक भोजन की गुणवत्ता में सुधार नहीं होता. जिले के अधिकारियों ने भी भोजन की जांच की थी और अपनी रिपोर्ट में यह बताया था कि भोजन की गुणवत्ता खराब है. यहां तक की एनजीओ से स्पष्टीकरण की भी मांग हो चुकी है. बावजूद इसके एनजीओ लगातार विभिन्न विद्यालयों में भोजन दे रहा है, जिससे कि अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं.

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