त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने महर्षि विश्वामित्र का यज्ञ संपन्न कराने तथा ताड़का सुबाहु और मारीच का वध करने के पश्चात विश्वामित्र आश्रम के पांच कोस में बसे ऋषियों के आश्रम पर जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था. वहां उन्होंने जो कुछ भी भोजन स्वरूप ग्रहण किया था उसे आज भी श्रद्धालु भक्ति भाव से ग्रहण करते हैं.
- गुरुवार को बक्सर में लिट्टी चोखा बना कर होगा यात्रा का समापन
- त्रेता युग से चली आ रही परंपरा भगवान श्रीराम ने लिया था संतों से आशीर्वाद
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : त्रेता युग से चली आ रही परंपरा के तहत पंचकोसी परिक्रमा समिति के बैनर तले साधु-संतों तथा राम भक्तों की टोली नारद मुनि के आश्रम पर सत्तू मूली का प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर पहुंची जहां चूड़ा दही का भोग लगाया गया. भार्गव आश्रम भगवान भोले शंकर की पूजा-अर्चना करने के पश्चात पंचकोसी परिक्रमा समिति के बैनर तले प्रवचन कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमें बसांव पीठाधीश्वर अच्चुत प्रपन्नाचार्य, सीता राम विवाह आश्रम के महंत राजा राम शरण दास, कथावाचक रामनाथ ओझा लोगों को भगवान श्री राम के जीवन दर्शन से अवगत कराया.
अब यह यात्रा बुधवार को छोटका नुआंव पहुंचेगी जहां महर्षि उद्यालक के आश्रम में अवस्थित भगवान शिव मंदिर में पूजा अर्चना करने के पश्चात यहां सभी खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण करेंगे. इसके अतिरिक्त अंजनी सरोवर के समीप माता अंजनी के मंदिर में पूजा अर्चना की जाएगी. गुरुवार को पंचकोसी परिक्रमा के अंतिम पड़ाव चरित्रवन में लिट्टीज़-चोखा का प्रसाद बना कर श्रद्धालु इसे भक्ति भाव से ग्रहण करेंगे.
बता दें कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने महर्षि विश्वामित्र का यज्ञ संपन्न कराने तथा ताड़का सुबाहु और मारीच का वध करने के पश्चात विश्वामित्र आश्रम के पांच कोस में बसे ऋषियों के आश्रम पर जाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था. वहां उन्होंने जो कुछ भी भोजन स्वरूप ग्रहण किया था उसे आज भी श्रद्धालु भक्ति भाव से ग्रहण करते हैं.
0 Comments