वीडियो : अज्ञात संगठन के लोगों ने ढाई घंटे तक किया सड़क जाम, पूछने पर नहीं बता सके कारण ..

तकरीबन ढाई घंटे तक जनजीवन प्रभावित रहा. यातायात अवरुद्ध हो जाने से जहां आम लोगों को परेशानी हुई वहीं स्कूली बच्चों के वाहन भी जाम में फंसे रहे, जिससे कि भूखे-प्यासे बच्चे बिलबिलाते रहे. 





- नगर के ज्योति प्रकाश चौक पर किया गया था सड़क जाम
- घंटों फंसे रहे वाहन, आम लोगों तथा स्कूली बच्चों को हुई काफी परेशानी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के ज्योति प्रकाश चौक के समीप अज्ञात संगठन के द्वारा सड़क जाम कर दिया गया सड़क जाम होने से दिन में तकरीबन ढाई घंटे तक जनजीवन प्रभावित रहा. यातायात अवरुद्ध हो जाने से जहां आम लोगों को परेशानी हुई वहीं स्कूली बच्चों के वाहन भी जाम में फंसे रहे, जिससे कि भूखे-प्यासे बच्चे बिलबिलाते रहे. सड़क जाम के संदर्भ में जब जाम सड़क पर बैठी महिलाओं और पुरुषों से बातचीत की गई तो उन्होंने इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया. कुछ महिलाओं ने यह कहा कि वह पहली बार आई है ऐसे में उन्हें यह जानकारी नहीं है कि वह क्यों आई हैं. 

बार-बार पूछे जाने पर कुछ महिलाएं इधर-उधर देखने लगी तो कुछ ने साफ तौर पर कह दिया कि उन्हें नहीं मालूम है कि वह क्यों आई हैं. किसी महिला ने यह भी बताया वह दूसरी महिला के साथ चली आई है, क्योंकि दोनों एक ही जगह की रहने वाली हैं. एक पुरुष से भी बात की गई तो उन्होंने उल्टे संवाददाता से ही सवाल कर दिया कि क्या उन्हें नहीं मालूम कि वह क्यों बैठे हैं? काफी पूछने पर भी उक्त पुरुष ने कुछ भी नहीं बताया अंततः संवाददाता वापस लौट गए.


ढाई घंटे बाद हटा जाम, पुलिस को करनी पड़ी कड़ी मशक्कत :

जाम की सूचना मिलते ही नगर थाने यातायात पुलिस अलर्ट हो गई. सड़क से जाम हटाने का प्रयास शुरू कर दिया गया लेकिन, धरने पर बैठी महिलाएं और पुरुष हटने का नाम नहीं ले रहे थे. काफी मशक्कत के बाद उन्हें समझा-बुझाकर हटा तो दिया गया लेकिन इस दौरान लोग काफी परेशान रहे. 

प्रशासन ने कैसे दी ज्योति चौक जाम करने की अनुमति?

नियमानुसार धरना-प्रदर्शन करने के लिए अनुमंडल कार्यालय से अनुमति लेनी होती है और फिर लोकतांत्रिक तरीके से प्रशासन के द्वारा चिह्नित स्थल कवलदह पोखर पार्क में बैठकर धरना प्रदर्शन करना होता है. ऐसे में यह जानने के लिए कि क्या अनुमंडल पदाधिकारी के स्तर से उन्हें अनुमति मिली थी, एसडीएम धीरेंद्र कुमार मिश्रा से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका. 

बहरहाल, एक बड़ा सवाल अब भी अनुत्तरित है कि जनजीवन को प्रभावित करने का अधिकार किसी को कैसे मिला और क्या इस तरह के कृत्य पर प्रशासन के द्वारा कोई कार्रवाई की जाएगी?

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