मां शब्द का उच्चारण करते ही मां प्रकट हो जाती है उसी तरह जब भी हम ईश्वर के नाम का प्रेमपूर्वक उच्चारण करते हैं तो वे अवश्य ही हमारे आसपास होते है. जब-जब धर्म की हानि होती है तब-तब भगवान प्रकट होते हैं.
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बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : श्री राम कर्म भूमि न्यास के तत्वावधान व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के संयोजन तथा श्रीलक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी के सानिध्य में आयोजित सनातन संस्कृति समागम में श्री अनंताचार्य स्वामी जी के मुखारविंद से श्रीमद्भागवत कथा रसपान करने भक्तजनों की भीड़ उमड़ रही है. शुक्रवार को कथा के तीसरे दिन स्वामी जी ने कलयुग में श्रीमद्भगवत गीता को मोक्ष प्राप्त करने का साधन बताते हुए परीक्षित जन्म कथा सुनाई.
स्वामी जी ने कहा कि श्रीमद्भागवत पुराण 18 पुराणों में सबसे श्रेष्ठ है इसलिए यह पुराणों के अंग के मस्तक का तिलक है. श्रीमद्भागवत पुराण के बिना अन्य पुराण वैसे ही हैं जिस प्रकार नारी सिंदूर के बिना और पुरुष तिलक के बिना.
हिंदुओं को शिखा और तिलक लगाने में शर्म नही करनी चाहिए. ये हमारी श्री है, शोभा है और धर्म है. हिंदुओं को शिखा और तिलक अवश्य धारण करना चाहिए. ईश्वर ने हमे यह शरीर भगवतासाधन के लिए दिया है इसे व्यर्थ नही करना चाहिए.
जिस प्रकार बीज के बिना वृक्ष की और वृक्ष के बिना बीज की कल्पना नही की जा सकती उसी प्रकार निराकार ईश्वर के बिना हमारी कल्पना असम्भव है.
मां शब्द का उच्चारण करते ही मां प्रकट हो जाती है उसी तरह जब भी हम ईश्वर के नाम का प्रेमपूर्वक उच्चारण करते हैं तो वे अवश्य ही हमारे आसपास होते है. जब-जब धर्म की हानि होती है तब-तब भगवान प्रकट होते हैं.
स्वामी अनंताचार्य श्रीमद्भागवत महात्म का वर्णन करते हुए कहते हैं की यह पृथ्वी पर मोक्ष का सबसे बड़ा साधन है. धरती पर भटकती हुई आत्माओं को श्रीमद्भगवत मोक्ष प्रदान करता है.
परीक्षित कथा का वर्णन करते हुए महाराज ने कहा की हमें संतों का अपमान नही करना चाहिए. संतो की दीक्षा से ही ईश्वर की शरणागति प्राप्त हो सकती है. शरणागति को न पैसों से खरीदा जा सकता है और न ही बेचा जा सकता है इसे केवल संतों की दीक्षा और ईश्वर की भक्ति से प्राप्त किया जा सकता है.
जिस तरह परीक्षित महाराज ने अपने अंतिम दिनों में श्रीमद्भगवत कथा श्रवण कर अपने जीवन को सिद्ध और साकार किया उसी तरह सभी को भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए.
श्रीराम कर्मभूमि पर स्वामी जी ने तुलसीदास जी की पंक्तियों का स्मरण करते हुए कहा कि 'कलजुग केवल नाम आधारा'. कलयुग में हम सिर्फ ईश्वर का नाम लेकर अपना उद्धार कर सकते हैं. जिस प्रकार महर्षि विश्वामित्र की इस तपोभूमि पर भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया. लेकिन भगवान राम के नाम ने बहुतों का उद्धार किया इसलिए श्रीराम से भी अधिक महत्व राम के नाम का है. जिनका उच्चारण मात्र से ही भगवान भक्त की ओर खिंचे चले आते हैं.
संत समागम में व्यास पीठ से स्वामी अनंताचार्य जी ने त्रिदंडी स्वामी जी का पावन स्मरण करते हुए उत्तर भारत का सबसे विद्वान संत कहा और रामानुज स्वामी का अवतार कहते हुए प्रणाम किया.
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