गंगा जल के प्रदूषण स्तर को मापने पहुंची राज्य स्तरीय टीम ..

सीवरेज प्लांट के नाम पर पचासी करोड़ रुपये की योजना जब 75 फीसद पूरी हो गई तब तक कार्यकारी कंपनी ट्रायटेक ब्लैकलिस्टेड कर दी गई. अब नई कंपनी 185 करोड रुपये खर्च कर इसी काम को पूरा करने वाली है. हालांकि अब तक विश्व बैंक के द्वारा इस योजना को हरी झंडी और आर्थिक मदद नहीं दी गई है. ऐसे में योजना केवल बातों में ही है.






- 3 महीने में अलग-अलग शहरों में जांचा जाएगा प्रदूषण का स्तर
- बिहार सरकार को सौंपी जाएगी जांच की रिपोर्ट

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : गंगा के जल में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए राज्य सरकार ने अब प्रदूषण के स्तर की जांच करानी शुरू कर दी है. गंगा के जलस्तर की गुणवत्ता जांचने के लिए प्रदेश स्तरीय एक टीम बक्सर में पहुंची और रामरेखा घाट पर मशीन लगाकर वॉटर क्वालिटी की जांच की. मौके पर मौजूद जांच टीम के सदस्य ने बताया कि यह योजना तीन महीनों तक चलेगी जिसमें पूरे बिहार में अलग-अलग शहरों में गंगा जल की गुणवत्ता जांची जाएगी. 




उन्होंने बताया कि प्रदूषण के स्तर के हिसाब से यह तय होता है कि कितने देर में जल में प्रदूषण के स्तर का पता चल जाएगा. बक्सर की जो स्थिति है उसके हिसाब से यहां तकरीबन आठ घंटे का समय देकर गंगा जल की गुणवत्ता जांची जाएगी और फिर इस पर एक रिपोर्ट तैयार कराकर बिहार सरकार को सौंपी जाएगी. बिहार सरकार इस रिपोर्ट पर आगे क्या करने वाली है? इस बात का जवाब तो टीम के सदस्य नहीं दे सके लेकिन एक बात यह स्पष्ट जरूर हुई की प्रदेश की सरकार भी अब गंगा की सेहत को लेकर चिंतित है.


85 करोड़ रुपये की राशि खर्च करने के बाद ब्लैक लिस्टेड हो गई थी कंपनी : 

केंद्र सरकार नमामि गंगे परियोजना चलाकर गंगा स्वच्छता की दलीलें पेश करता हो लेकिन सच्चाई यह है कि बक्सर जिले में ही बड़े-बड़े नाले सीधे गंगा में जाकर गिरते हैं. वाटर ट्रीटमेंट की परियोजनाएं कभी पूरी नहीं हो सकी हैं. सीवरेज प्लांट के नाम पर सौ करोड़ रुपये की योजना जब 85 फीसद पूरी हो गई तब तक कार्यकारी कंपनी ट्रायटेक ब्लैकलिस्टेड कर दी गई. अब नई कंपनी 185 करोड रुपये खर्च कर इसी काम को पूरा करने वाली है. हालांकि अब तक विश्व बैंक के द्वारा इस योजना को हरी झंडी और आर्थिक मदद नहीं दी गई है. ऐसे में योजना केवल बातों में ही है. शहरी आवास एवं विकास विभाग के कार्यपालक अभियंता विजय कुमार का कहना है कि विश्व बैंक हरी झंडी मिलने के बाद यह परियोजना धरातल पर उतर पाएगी.







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