वीडियो : दस दिनों के बाद जिले की हवा में सांस लेना होगा मुश्किल : जिला कृषि पदाधिकारी

यांत्रिकीकरण का लाभ तो बहुत हुआ लेकिन उसके नुकसान भी काफी है जब कंबाइन हार्वेस्टर प्रमोट करना शुरू किया गया तो फसल की कटनी समय से होने लगी. लेकिन, खेतों में रखी हुई पराली उचित प्रबंधन ना करते हुए उसे जलाने की परंपरा शुरू कर दी गई.






- एयर क्वालिटी इंडेक्स में पिछड़ा जिला, कृषि पदाधिकारी ने बताई बड़ी वजह
- कहा - गंगा के किनारे बसे जिले की ऐसी हालत चिंताजनक

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : आगामी दस दिनों के बाद बक्सर की हवा काफी जहरीली हो जाएगी. ऐसे में लोगों का सांस लेना भी मुश्किल हो जाएगा तथा उन्हें स्वसन संबंधी कई बीमारियां भी हो सकती है. यह सब कुछ होने में पराली जलाने का बहुत बड़ा योगदान है. यह कहना है जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार का. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों एयर क्वालिटी इंडेक्स में राज्य में बक्सर का स्थान पांचवा था. दस दिनों के बाद जब फसल की कटनी शुरु होगी और लोग धड़ाधड़ खेतों में पराली जलाना शुरू करेंगे तब वायु प्रदूषण अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगा, जिससे कि जिले की हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाएगा.



जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि यांत्रिकीकरण का लाभ तो बहुत हुआ लेकिन उसके नुकसान भी काफी है जब कंबाइन हार्वेस्टर प्रमोट करना शुरू किया गया तो फसल की कटनी समय से होने लगी. लेकिन, खेतों में रखी हुई पराली उचित प्रबंधन ना करते हुए उसे जलाने की परंपरा शुरू कर दी गई. यह परंपरा धीरे-धीरे वातावरण को प्रदूषित करती जा रही है. हमारा जिला गंगा के किनारे बसा हुआ है. लेकिन यहां स्वच्छ हवा की जगह प्रदूषित हवा बह रही है तो कहीं ना कहीं यह हमारी लापरवाही का नतीजा है.


जागरूकता के लिए चलाया जा रहा अभियान : 

डीएओ ने बताया कि किसानों को प्रणाली प्रबंधन के फायदे बताए जा रहे हैं. उन्हें यह बताया जा रहा है कि किस प्रकार वह पराली को पशुओं के चारे के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए वह कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा प्रदत्त मशीनों का इस्तेमाल कर सकते हैं. किसानों को में जागरूकता लाने के लिए किसान चौपाल के साथ-साथ नुक्कड़ नाटकों का भी आयोजन हो रहा है.

कंबाइन हार्वेस्टर संचालकों को भी पराली प्रबंधन का दिया जा रहा टास्क :

उन्होंने कहा कि कंबाइन हार्वेस्टर संचालक जो कि जिले में कटनी करने के लिए पहुंच रहे हैं उन्हें लाइसेंस इसी शर्त पर दिया जा रहा है कि वह पराली प्रबंधन करेंगे किसी भी हालत में खेतों में पराली जलाई नहीं जाएगी. विभाग की इस शर्त को कंबाइन हार्वेस्टर संचालक मान भी रहे हैं जिसके बाद उन्हें क्रॉप कटिंग की अनुमति दी जा रही है.

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