नवजात की मौत पर हंगामा, परिजनों ने लगाया गलत इंजेक्शन देने का आरोप ..

मौके पर अस्पताल प्रबंधक तथा चिकित्सक पहुंचे एवं लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया बाद में परिजनों के लिखित आवेदन के आधार पर सिविल सर्जन डॉक्टर जितेंद्र नाथ के द्वारा अस्पताल उपाधीक्षक रवि भूषण श्रीवास्तव, वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर भूपेंद्र नाथ तथा डॉक्टर अनिल कुमार  के तीन सदस्यीय दल को जांच का जिम्मा दिया गया है. 




- नवजात शिशु को लगा दिया गया एंटी-डी इंजेक्शन तो हो गई मौत
- शिशु रोग विशेषज्ञ चिकित्सक ने कहा - नहीं लगना चाहिए बच्चे को इंजेक्शन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सदर अस्पताल में सोमवार की रात एक नवजात शिशु की मृत्यु के पश्चात परिजनों ने अस्पताल की स्वास्थ्य कर्मी पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया हंगामे की खबर सुनकर मौके पर अस्पताल प्रबंधक तथा चिकित्सक पहुंचे एवं लोगों को समझा-बुझाकर शांत किया बाद में परिजनों के लिखित आवेदन के आधार पर सिविल सर्जन डॉक्टर जितेंद्र नाथ के द्वारा अस्पताल उपाधीक्षक रवि भूषण श्रीवास्तव, वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर भूपेंद्र नाथ तथा डॉक्टर अनिल कुमार  के तीन सदस्यीय दल को जांच का जिम्मा दिया गया है. 



घटना के संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक कोटवा नारायणपुर निवासी राजकुमार की पत्नी लक्ष्मी कुमारी को 10 दिसंबर को प्रसव पीड़ा होने पर सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया. आईसोइम्युनाइज्ड प्रेग्नेंसी होने के कारण एंटी-डी इंजेक्शन लगाने की चिकित्सकों के द्वारा दी गई. परिजनों का आरोप है कि यह इंजेक्शन प्रसूता को लगाना था लेकिन इसे ड्यूटी में कार्यरत एनएमआर अंशु कुमारी के द्वारा नवजात को लगा दिया गया जिससे कि उसकी मौत हो गई.

बच्चे को नहीं लगनी चाहिए थी एंटी-डी इंजेक्शन : विशेषज्ञ
 
नगर के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर गांगेय राय तथा तनवीर फरीदी ने बताया कि एंटी-डी इंजेक्शन गर्भवती महिलाओं को उस वक्त लगाया जाता है जब उनका आरएच नेगेटिव और बच्चे का आरएच पॉजिटिव हो. यह इंजेक्शन इसलिए लगाया जाता है ताकि उन्हें अगली गर्भावस्था के दौरान कोई विशेष दिक्कत ना हो. नवजात बच्चे को एंटी-डी इंजेक्शन नहीं लगाया जाता है. यदि ऐसा किया गया है तो निश्चित रूप से यह बड़ी भूल है.

कहते हैं सिविल सर्जन :

मृत बच्ची के परिजनों का आरोप है कि उसे 2 दिन पूर्व यह इंजेक्शन लगाया गया था. उसके आवेदन के आधार पर त्वरित कार्रवाई करते हुए 13 सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया है, जिसके द्वारा इस पूरे मामले की जांच की जा रही है. अगर चिकित्सा कर्मी की लापरवाही









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