संकल्प लिया कि वह प्रतिदिन सुबह 7:00 से 8:00 बजे विश्वामित्र मैदान में बैठकर गायत्री मंत्र उच्चारण के साथ साथ योगाभ्यास करेंगे और अन्य कैदियों को भी करने को प्रेरित करेंगे. यह भी हैसंकल्प लिया कि वह अपनी सजा पूरी करने के बाद जब समाज की मुख्यधारा में जुड़ेंगे तो वह वहां भी लोगों को मानसिक आरोग्य पाने के सरल उपाय के बारे में बताएंगे और उन्हें प्रशिक्षित करेंगे.
- मुख्यधारा में लौटने के बाद जीवन को सफल बनाने का प्रयास
- कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए योग शिविर का हुआ आयोजन
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : बक्सर केंद्रीय कारा में कैदियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अष्ट दिवसीय योग शिविर (प्रिजन स्मार्ट प्रोग्राम) का आयोजन किया गया. यहां से फिर 28 जनवरी से लेकर 4 फरवरी तक आयोजित किया गया था, जिसमें केंद्रीय के हजारों कैदियों ने भाग लिया और योग, ध्यान तथा सुदर्शन क्रिया के माध्यम से मानसिक आरोग्य को पाने की कोशिश की. कैदियों के अलग-अलग समूह को प्रतिदिन योगाभ्यास कराया जा रहा था. जिसके माध्यम से उन्हें मानसिक शांति के साथ साथ सजा पूरी करने के बाद समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का भी संदेश दिया गया. आर्ट ऑफ लिविंग की प्रशिक्षक वर्षा पांडेय, दीपक पांडे तथा अन्य सहयोगियों के द्वारा कैदियों को प्रशिक्षण दिया गया. इस शिविर में कारा के कल्याण पदाधिकारी अभिषेक आनंद की विशेष भूमिका रही.
योगाभ्यास शिविर के बारे में जानकारी देते हुए कारा अधीक्षक राजीव कुमार ने बताया कि उनके निर्देशन में चल रहे योग शिविर का उद्घाटन 28 जनवरी को किया गया था. जिसमें प्रतिदिन 300 से ज्यादा कैदी प्रशिक्षित हो रहे थे. सभी कैदियों अनुशासित तरीके से योगाभ्यास किया उनमें से 60-70 बंदियों ने यह संकल्प लिया कि वह प्रतिदिन सुबह 7:00 से 8:00 बजे विश्वामित्र मैदान में बैठकर गायत्री मंत्र उच्चारण के साथ साथ योगाभ्यास करेंगे और अन्य कैदियों को भी करने को प्रेरित करेंगे. यह भी हैसंकल्प लिया कि वह अपनी सजा पूरी करने के बाद जब समाज की मुख्यधारा में जुड़ेंगे तो वह वहां भी लोगों को मानसिक आरोग्य पाने के सरल उपाय के बारे में बताएंगे और उन्हें प्रशिक्षित करेंगे.
श्वास के माध्यम से स्वयं को नियंत्रित करने का होगा प्रयास :
कारा अधीक्षक ने बताया कि कैदियों ने योगाभ्यास शिविर में अपनी श्वास को नियंत्रित करने का उपाय सीख लिया है स्वास्थ्य को नियंत्रित करने से उनका मस्तिष्क उनके नियंत्रण में रहेगा और जेल से छूटने के बाद वह कभी भावेश में आकर ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे जिससे कि उन्हें जेल में आना पड़े. कारा अधीक्षक ने बताया कि इस तरह की भावनाएं कैदियों के बीच प्रेषित करने से यह प्रतीत होता है कि उनका जीवन अब सुखद, सरल और सफल हो जाएगा.
जेल के कर्मियों को भी जल्द ही कराया जाएगा योगाभ्यास का प्रशिक्षण :
कारा अधीक्षक ने कहा कि उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग के सदस्यों से यह आग्रह किया है कि जल्द ही केंद्रीय कारा के कर्मियों को भी योग प्रशिक्षण दिया जाए. जिसके लिए अलग से एक शिविर का आयोजन हो, जिसके माध्यम से कर्मियों का तनाव भी कम और जीवन संतुलित हो सके. आर्ट ऑफ लिविंग के सभी सदस्यों को धन्यवाद देते हुए यह बताया इस कार्यक्रम को सफल बनाने में केंद्रीय कारा के उपाधीक्षक त्रिभुवन सिंह, सहायक कारा अधीक्षक, प्रियतम प्रियदर्शी, शिवसागर, पुष्पराज, सत्यजीत की सराहनीय भूमिका रही.
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