साफ-सफाई के लिहाज से ताला बंद किया गया था. लेकिन अब उस शौचालय और मूत्रालय की चाबी महिला अधिवक्ताओं को सौंप दी गई है. ऐसे में जिन महिला अधिवक्ता अथवा वादकारियों को आवश्यकता होगी वह चाबी से ताला खोलकर शौचालय और मूत्रालय का प्रयोग करेंगे.
- संघ के महासचिव ने कहा - साफ सफाई के लिहाज से बंद किया गया था ताला
- सदैव फैली रहती थी महिला शौचालय में जाने वाले मार्ग पर गंदगी
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : व्यवहार न्यायालय परिसर में महिलाओं के शौचालय में ताला बंद होने की बात पर अधिवक्ता संघ के महासचिव विंदेश्वरी प्रसाद पांडेय ने सफाई दी है. उन्होंने कहा है कि वहां ताला इसलिए बंद था ताकि महिलाओं के शौचालय में कोई पुरुष अधिवक्ता अथवा वादकारी प्रवेश ना करें. क्योंकि ऐसा अक्सर देखने को मिलता था कि महिला शौचालय में जाने वाले मार्ग पर ही गंदगी फैला दी जाती थी. ऐसे में साफ-सफाई के लिहाज से ताला बंद किया गया था. लेकिन अब उस शौचालय और मूत्रालय की चाबी महिला अधिवक्ताओं को सौंप दी गई है. ऐसे में जिन महिला अधिवक्ता अथवा वादकारियों को आवश्यकता होगी वह चाबी से ताला खोलकर शौचालय और मूत्रालय का प्रयोग करेंगे.
अधिवक्ता संघ के महासचिव ने कहा कि इसके अतिरिक्त भी महिला अधिवक्ताओं के लिए न्यायिक भवन में एक शौचालय और मूत्रालय पूर्व से ही खुलवाया गया था. जिनका प्रयोग महिला अधिवक्ता कर रही थी. फिलहाल संघ भवन में मूत्रालय और शौचालय नहीं होने से भी अधिवक्ताओं को परेशानी हो रही है. ऐसे में न्यायालय परिसर में अतिरिक्त शौचालय और मूत्रालय बनाने के लिए भी प्रयास किया जाएगा. निकट भविष्य में कुछ सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेंगे.
अधिवक्ता संघ के इस फैसले से निश्चित रूप से कुछ महिला अधिवक्ताओं को राहत होगी. लेकिन सवाल यह है कि जिस न्यायालय में कानून के जानकार अधिवक्ता रहते हैं वहां महिला मूत्रालय में पुरुषों के प्रवेश को रोकने के लिए तालाबंदी कितनी उचित है? क्या व्यवहार में परिवर्तन कर इस स्थिति को बदला नहीं जा सकता?
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