स्वामी विमलानंद सरस्वती की प्रतिमा का हुआ अनावरण ..

वक्ताओं ने अपने अपने उद्बोधन में स्वामी जी के जीवन पर प्रकाश डाला. शिवानंद राय अपने व्याख्यान के माध्यम से कहा कि स्वामी जी कलम के धनी थे, स्वामी जी का एक विचार था कि "मैं गुलाम देश में विवाह करके गुलामों को जन्म नहीं दे सकता."
स्वामी जी की प्रतिभा का अनावरण करते अतिथि





- चरित्रवन स्थित स्वामी सहजानंद सरस्वती आश्रम में स्थापित हुई प्रतिमा
- स्वामी जी के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर की गई चर्चा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : चरित्रवन स्थित स्वामी सहजानंद सरस्वती आश्रम मे शनिवार को आश्रम के संस्थापक दंडी स्वामी विमलानद सरस्वती जी के प्रतिमा का अनावरण किया गया. राजगुरु मठ, शिवाला घाट वाराणसी एवं स्वामी सहजानद सरस्वती आश्रम के महंत दंडी स्वामी देवानंद सरस्वती जी के नेतृत्व मे कार्य संपन्न हुआ. पूजन, हवन के बाद मंत्रोच्चारण के साथ संतों की गरिमामयी उपस्थिति के साथ प्रतिमा अनावरण किया गया. 


स्वामी जी का जीवन बहिर्मुखी प्रतिभा का रहा है. उनका जन्म 1921 में मंगराव गांव में हुआ. शुरु में स्वामी जी छात्र संगठन के मंत्री मनोनित हुए. स्वामी सहजानंद सरस्वती से प्रभावित होकर देश की स्थिति एवं समस्याओं को समझने लगे और भारत छोड़ो आजादी आंदोलन में शामिल होकर जेल यात्रा से अपने स्वतंत्रता सेनानी के रूप मे जीवन को स्थापित किया. संसर्ग राहुल संकृतायन एवं नागार्जुन से होने से विविध पुस्तकों का संपादन हुआ, जिनमें प्रमुख रूप से भोजपुरी के रूप प्रथम महाकाव्य "बौधायन" लिखा. इसके बाद "शासक सैनिक" एवं "धर्मचार्य ब्राह्मण" का प्रकाशन हुआ, तत्पश्चात "ब्राह्मण कौन है?" का प्रकाशन हुआ.

26 फरवरी को सिमरी में मनाई जाएगी स्वामी जी की जयंती : 

स्वामी जी बक्सर में स्वामी सहजानंद सरस्वती आश्रम का स्थापना 1954 में थे. इन सबके बीच एक सभा का आयोजन किया गया. जिसके मुख्य अतिथि श्री सीताराम जानकी आश्रम के महंत राजा राम दास महाराज थे. कई वक्ताओं ने अपने अपने उद्बोधन में स्वामी जी के जीवन पर प्रकाश डाला. शिवानंद राय अपने व्याख्यान के माध्यम से कहा कि स्वामी जी कलम के धनी थे, स्वामी जी का एक विचार था कि "मैं गुलाम देश में विवाह करके गुलामों को जन्म नहीं दे सकता."

वहीं, सुरेंद्र प्रसाद राय ने बाहरी कठोरता एवं भीतरी सरलता को एक कथानक के रूप में बताया. 26 फरवरी को स्वामी जी के जयंती सिमरी में भी मनाया जाएगा. प्रशांत कुमार राय भी उनकी रचनाओं पर प्रकाश डाला और उनके विचारों से लोगों को अवगत कराया. कार्यक्रम के दौरान स्वामी परमात्मा नन्द सरस्वती, स्वामी प्रकाशानंद सरस्वती, स्वामी शिवशंकरा नन्द सरस्वती, स्वामी शारदा नन्द सरस्वती, अवधेश राय, प्रदीप पाठक, उदय नारायण राय, नरेंद्र शर्मा, आशुतोष राय, पियूष राय, हरी चेतन जी महाराज संजीवनी राय सत्यम राय सहित बहार्षि समाज के कई लोग मौजूद रहे.














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