यह बताया कि कार्यालय में व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हो गई हैं. वहां बैठने के लिए पेयजल आदि के लिए व्यवस्था की गई है. संभवतः वह ऐसा इसलिए कह रहे थे ताकि कार्यालय के भ्रष्टाचार पर कोई चर्चा ना की जाए.
- लोगों ने कहा - निबंधन शुल्क के अतिरिक्त भी वसूले जाते हैं हजारों रुपये
- निबंधन कराने पहुंचे व्यक्ति ने कहा - शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : निबंधन कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर है. निबंधन कराने के लिए पहुंचने वाले लोगों का यह कहना है कि उनसे प्रति निबंधन न्यूनतम तीन से चार हजार और अधिकतम आठ हज़ार रुपये तक वसूले जाते हैं. खास बात यह है कि इस बात की शिकायत करने पर कोई सुनवाई भी नहीं होती. ऐसे में चुपचाप लोग भ्रष्टाचार का शिकार होते रहते हैं. मामले में जहां कार्यालय के कर्मी गोलमोल जवाब देते हैं कोई अवर निबंधक तो इस मामले में कुछ भी बोलने से ही बचते नजर आ रहे हैं. लेकिन, अब मामले में लोगों का रोष बढ़ता जा रहा है.
गजाधर गंज निवासी राहुल कुमार नामक युवक ने बताया कि पिछले दिनों वह अपने एक परिचित व्यक्ति को लेकर निबंधन कराने के लिए पहुंचे थे. निबंधन कार्यालय में उनसे अतिरिक्त साढ़े तीन हज़ार रुपये की राशि निबंधन कार्यालय के कर्मियों तथा अवर निबंधन को घूस देने के नाम पर वसूली गई. इसके अतिरिक्त 200 रुपये रेडक्रॉस की फीस के नाम पर लिए गए. उनके शिकायत पर जब निबंधन कार्यालय में पहुंचकर निबंधन कराने पहुंचे लोगों से पूछताछ की गई तो कई लोगों ने यहां व्याप्त भ्रष्टाचार के बारे में जानकारी दी. कमलवास ठाकुर नामक एक व्यक्ति ने कहा कि उनसे तकरीबन आठ हज़ार अधिक ले लिए गए. यह राशि निबंधन शुल्क के अतिरिक्त है. उन्होंने कहा कि इस बात की शिकायत की गई लेकिन अवर निबंधक अथवा किसी अन्य कर्मी के द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई.
जिस वक्त शिकायतें सामने आई उस वक्त कार्यालय में अवर निबंधक नहीं थे. पूछताछ की गई तो पंकज नामक एक युवक ने बताया कि वह अवर निबंधक के प्रतिनिधि हैं. जो भी पूछना है उनसे पूछताछ की जा सकती है. जब उनसे यह पूछा गया कि क्या निबंधन शुल्क के अतिरिक्त कोई शुल्क लिया जाता है, तो उन्होंने इस बात से साफ तौर पर इंकार किया, फिर यह बताया कि कार्यालय में व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हो गई हैं. वहां बैठने के लिए पेयजल आदि के लिए व्यवस्था की गई है. संभवतः वह ऐसा इसलिए कह रहे थे ताकि कार्यालय के भ्रष्टाचार पर कोई चर्चा ना की जाए. खास बात यह है कि इस मामले में अवर निबंधक ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. ऐसे में भ्रष्टाचार पर उनकी चुप्पी भी कई सवाल खड़े कर रही है.
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