कहा कि निश्चित रूप से काफी कष्टप्रद स्थिति है. न्यायालय में प्रतिदिन सैकड़ों अधिवक्ताओं के साथ-साथ वादकारियों का भी आगमन होता है. ऐसे में शौचालय और मूत्रालय का ना होना, उनके लिए असहज स्थिति पैदा करता है. ऐसे में अधिवक्ता संघ को समस्या का हल निकालना चाहिए.
- शौचालय में ताला बंद होने पर अधिवक्ताओं ने जताया रोष
- कहा - यह महिलाओं के अधिकारों का हनन
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : व्यवहार न्यायालय परिसर में बने महिला व पुरुष शौचालय में महिलाओं के शौचालय में ताला बंद कर दिया गया है, इससे महिला अधिवक्ताओं के साथ-साथ महिला वादकारियों को भी काफी परेशानी होती है. यह कहना है महिला अधिवक्ता आनंद रंजना का. उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में कई बार जिला अधिवक्ता संघ के पदाधिकारियों से बात की गई लेकिन उनके द्वारा इस समस्या का कोई निदान नहीं निकाला गया, ऐसे में महिला अधिवक्ताओं के साथ-साथ कि. यहां पहुंचने वाली महिलाओं को काफी दिक्कत होती है.
अधिवक्ता ज्ञानेंद्र कुमार द्विवेदी ने बताया कि महिला सशक्तिकरण की बात करने वाले लोगों के मुंह पर यह स्थिति जोरदार तमाचा है. अधिवक्ता अरविंद पांडेय, शिवजी राय, दीपिका केशरी, सरफराज सैफी, मथुरा चौबे, डॉ अश्विनी वर्मा समेत कई अधिवक्ताओं ने भी इस बात पर सहमति जताई तथा कहा कि निश्चित रूप से काफी कष्टप्रद स्थिति है. न्यायालय में प्रतिदिन सैकड़ों अधिवक्ताओं के साथ-साथ वादकारियों का भी आगमन होता है. ऐसे में शौचालय और मूत्रालय का ना होना, उनके लिए असहज स्थिति पैदा करता है. ऐसे में अधिवक्ता संघ को समस्या का हल निकालना चाहिए.
जल्द ही ताला खुलवाने का करेंगे प्रयास : सचिव :
जिला अधिवक्ता संघ के सचिव विन्देश्वरी प्रसाद पांडेय ने बताया कि महिला शौचालय में जिला जज के आदेश से ताला बंद कराया गया है, लेकिन उसे जल्द ही उनसे अनुरोध कर ताला खुलवा दिया जाएगा.
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