वीडियो : शेरशाह की निशानी को बचाने के लिए ग्रामीणों ने किया सड़क जाम ..

वर्ष 2018 में जब लक्ष्मी नारायण महायज्ञ यहां आयोजित किया गया था उस समय स्वामी जी के निर्देश पर पोखर की जमीन को जुतवा कर बराबर कराया गया. बाद में चंद्रकांत राय इस स्थिति का फायदा उठाया और पूरी जमीन को कब्जे में लेकर उस पर खेती शुरू कर दी.






- धनसोई थाना क्षेत्र के मुबारकपुर गांव के समीप ऐतिहासिक पोखर का हुआ अतिक्रमण
- सड़क पर उतरे ग्रामीण कहां दबंग ने मिटा दिया है पोखर का अस्तित्व
- सड़क जाम की सूचना पर पहुंचे अनुमंडल पदाधिकारी ने दिया आश्वासन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : राजपुर प्रखंड के मुबारकपुर गांव के समीप शेरशाह सूरी के द्वारा खुदवाए गए ऐतिहासिक पोखर का अतिक्रमण कर लिए जाने से आक्रोशित ग्रामीणों ने जमकर बवाल काटा. उन्होंने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करते हुए टायर फूंक कर आगजनी भी की.  सड़क जाम किए जाने से धनसोई-दिनारा मुख्य मार्ग वाहनों की लंबी कतारें लग गई. सड़क जाम की सूचना पर स्थानीय धनसोई थानाध्यक्ष कमल नयन पांडेय मौके पर पहुंचे और उन्होंने ग्रामीणों को समझाने-बुझाने का प्रयास शुरु किया, लेकिन ग्रामीण जब नहीं माने तो उन्होंने अनुमंडल पदाधिकारी से ग्रामीणों की टेलिफोनिक वार्ता कराई. अनुमंडल पदाधिकारी ने यह आश्वासन दिया फिलहाल उक्त भूखंड पर किसी भी तरह के कार्य से रोक लगाई जा रही है. जिसके बाद आक्रोशित लोगों ने सड़क जाम खत्म किया.

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का कहना है कि यह पोखर एक तरफ जहां 1909 के पुराने सर्वे में अतिक्रमित 6 एकड़ 99 डिसमिल जमीन को पोखर के रूप में दर्शाया गया है. वहीं, हाल के वर्षों तक यह पोखरा साफ तौर पर दिखाई देता था. इतना ही नहीं भारत सरकार एवं बिहार सरकार के नक्शे में अब भी इसे पोखर ही दिखाया गया है. लेकिन, दबंगों ने इसे जुतवा कर बराबर करा दिया और इसमें खेती शुरू कर दी. ऐसे में पोखर की इस जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराया जाए भले ही इस पर पोखर के जगह खेल मैदान अथवा कुछ और बना दिया जाए. 


शेरशाह सूरी ने सैनिकों के लिए खुदवाया था पोखर :

स्थानीय लोगों ने बताया कि शेर शाह सूरी जब भारत आया था तो चौसा की तरफ जाने के दौरान कुछ दिनों तक सैनिकों के साथ मुबारकपुर में ठहरा था, जहां उसने सैनिकों के पानी पीने और नहाने के लिए यह पोखर खुदवाया था. जिसके बाद यह पोखर यहां मौजूद था. खतियान में पोखर की जमीन को गैरमजरूआ आम के रूप में दिखाया गया है.

1962 से शुरू हो गयी थी साजिश, 2018 में खत्म किया अस्तित्व :

सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे अजय चौधरी व नंदू चौधरी ने बताया कि पोखर की जिस जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है. उसे वर्ष 1962 में हुए सर्वे के दौरान काली बाबू के नाम पर दर्ज करा दिया गया था. बाद में उनके द्वारा यह जमीन चंद्रकांत राय को बेच दी गई. चंद्रकांत राय के द्वारा विशाल पोखर की जमीन को धीरे-धीरे अधिक्रमित करना शुरु किया गया. वर्ष 2018 में जब लक्ष्मी नारायण महायज्ञ यहां आयोजित किया गया था उस समय स्वामी जी के निर्देश पर पोखर की जमीन को जुतवा कर बराबर कराया गया. बाद में चंद्रकांत राय इस स्थिति का फायदा उठाया और पूरी जमीन को कब्जे में लेकर उस पर खेती शुरू कर दी.

चकबंदी के संयुक्त सचिव ने डीएम से मांगी थी रिपोर्ट : 

प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने कहा कि जमीन को खाली कराने के लिए उन्होंने चकबंदी के संयुक्त सचिव नवल किशोर को ज्ञापन सौंपा था. जिसके बाद 24 मार्च 2022 को उन्होंने डीएम से इसकी अद्यतन रिपोर्ट मांगी थी. लेकिन संभवत: अब तक डीएम के द्वारा उन्हें रिपोर्ट नहीं दी गई है. इतना ही नहीं पोखर के किनारे जो बाजार स्थानीय लोगों के द्वारा लगाया जाता है. उस बाजार में भी दुकानदारों से वसूली करने के लिए चंद्रकांत राय पहुंच जाते हैं. ऐसे में यदि प्रशासन जल्द ही कोई कार्रवाई नहीं करती आंदोलन को और तेज किया जाएगा.

कहते हैं थानाध्यक्ष :

सड़क जाम व प्रदर्शन की सूचना पर मौके पर पहुंच कर ग्रामीणों को समझाया-बुझाया गया. अनुमंडल पदाधिकारी ने ग्रामीणों को जमीन पर के कार्य से रोक लगाने का आश्वासन दिया, जिसके बाद ग्रामीणों ने सड़क जाम खत्म कर दिया.

कमलनयन पांडेय
थानाध्यक्ष, धनसोई

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