घर से बाहर निकलना हुआ मुश्किल तो सूबे के बड़े अधिकारियों व डीएम-एसपी के विरुद्ध न्यायालय पहुंचे ग्रामीण ..

लेकिन जनहित से जुड़े इस मामले में उन्हें न्यायालय से न्याय मिलने का पूरा भरोसा है. हालांकि उन्होंने कहा है कि सरकार जहां न्यायपूर्ण व्यवस्था चलाने की बात कहती है वहीं, उसके दावों पर ये अधिकारी पानी फेरते नजर आ रहे है.
विरोध जताते ग्रामीण (फ़ाइल इमेज)






आम दिनों में यह होते हैं हालात


- सरकारी गड्ढे का अतिक्रमण कर लिए जाने के कारण वर्षों से जल निकासी की समस्या झेल रहे ग्रामीण
- छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक ने नहीं की सुनवाई तो अंततः लिया न्यायालय का सहारा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सरकारी जमीन का अतिक्रमण नहीं हटाने के कारण वर्षों से गंदा जलजमाव झेल रहे ग्रामीणों की जब किसी ने नहीं सुनी तो मामले में पटना उच्च न्यायालय में बिहार के वरीय अधिकारियों के साथ-साथ जिले के अधिकारियों को भी इस स्थिति का जिम्मेदार बताते हुए उनके विरुद्ध परिवाद दायर किया गया है. याचिकाकर्ता ग्रामीण अशर्फी अंसारी ने बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव, नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव, बक्सर जिला पदाधिकारी उप विकास आयुक्त, पुलिस अधीक्षक अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी डुमरांव और बक्सर, भूमि सुधार उप समाहर्ता डुमरांव, प्रखंड विकास पदाधिकारी व अंचलाधिकारी सिमरी तथा सिमरी थानाध्यक्ष समेत कुल 10 लोगों के विरुद्ध परिवार दायर कर यह कहा है कि सिमरी अंचल के काजीपुर पंचायत के स्थानीय गांव में बिहार सरकार के आनाबाद सर्वसाधारण की जमीन पर अतिक्रमणकारियों के द्वारा कब्जा कर लिया गया है. इस जमीन पर एक गड्ढा बना हुआ था जिसमें पूरे गांव कि नालियों का पानी जाता था लेकिन इस गड्ढे को पाट कर कब्जा कर लेने से लोगों को जल निकासी में काफी परेशानी हो रही है. घर से बाहर गलियों में निकलना मुश्किल हो गया है. बरसात में हालात और भी नारकीय होती है. इस मामले में उन्होंने संबंधित सभी अधिकारियों को सूचित किया लेकिन उनके द्वारा कई बार आदेशित करने के बाद भी अब तक अतिक्रमण नहीं हटाया जा सका है. ऐसे में उन्होंने न्यायालय से इस मामले में हस्तक्षेप कर उचित आदेश देते हुए जनता को इस कष्ट से उबारने की गुहार लगाई है.
गड्ढे पर बन गई है पूरी बस्ती

याचिकाकर्ता ने न्यायालय से कुछ सवाल भी पूछे हैं. उन्होंने कहा है कि क्या संबंधित अधिकारी अतिक्रमण हटाने के लिए जिम्मेदार नहीं है? क्या यह अवैध और कानून की दृष्टि से अनुचित नहीं है? उन्होंने कहा है कि वर्षों से इस तरह की स्थिति होने के कारण ग्रामीणों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है और लोग दुर्घटनाग्रस्त भी होते हैं लेकिन सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए जब याचिकाकर्ता अशर्फी अंसारी ने संबंधित अधिकारियों को आवेदन देकर अतिक्रमण हटाने का अनुरोध किया तो उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. बाद में मामला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष गया लेकिन वहां से भी कोई कार्रवाई नहीं की गई.
बरसात में ऐसे होते हैं हालात


हजारों एकड़ कृषि भूमि भी होती है प्रभावित :

परिवादी ने बताया कि 2.11 एकड़ गड्ढे और सड़क की सरकारी जमीन का अतिक्रमण कर लेने से जलभराव होता है. और उससे हजारों एकड़ कृषि भूमि का कार्य प्रभावित होता है. लेकिन अधिकारी इस बात पर संज्ञान नहीं लेते. अब हालात यह है कि अतिक्रमणकारी गड्ढे के साथ-साथ सरकारी सड़क को भी कब्जा करने पर आमदा है. 

याचिकाकर्ता ने अधिकारियों की कार्यशैली पर उठाए सवाल, न्यायालय पर जताया भरोसा :

याचिकाकर्ता ने बताया कि भले ही अधिकारियों के द्वारा सरकारी जमीन अतिक्रमण हटाने के मामले में इस तरह की सुस्ती बरती जा रही है. लेकिन जनहित से जुड़े इस मामले में उन्हें न्यायालय से न्याय मिलने का पूरा भरोसा है. हालांकि उन्होंने कहा है कि सरकार जहां न्यायपूर्ण व्यवस्था चलाने की बात कहती है वहीं, उसके दावों पर ये अधिकारी पानी फेरते नजर आ रहे है.















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