पावर प्लांट का निर्माण रोकने पहुंचे ग्रामीणों को डीएम ने बुलाया, चार बजे होगी वार्ता ..

कहा गया कि वह समाहरणालय सभागार में डीएम के सामने अपनी बातों को रखें, जिससे कि उनकी समस्या का हल निकाला जा सके. फिलहाल जिले के प्रबुद्ध यह उम्मीद जता रहे हैं कि जिला पदाधिकारी के इस कदम के बाद इस समस्या का हल अवश्य निकल जाएगा. 






- चौसा पावर प्लांट के गेट पर पहुंचे थे बनारपुर गांव के ग्रामीण
- मुआवजे की मांग को लेकर कर रहे हैं विरोध

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : निर्माणाधीन चौसा पावर प्लांट के मुख्य द्वार के समीप एक बार फिर बनारपुर के कुछ ग्रामीण अपने कुछ सहयोगियों के साथ धरना देने और निर्माण कार्य रोकने के लिए पहुंच गए. उन्होंने मुख्य द्वार को जाम कर दिया और नारेबाजी करने लगे. कुछ महीनों पावर प्लांट में पहुंच और तोड़ फोड़ तथा आगजनी कर तकरीबन 25 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति का नुकसान करने वाले इन लोगों को दोबारा गेट पर पहुंचा देखकर प्रशासन सतर्क हो गई और तुरंत ही मौके पर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल भेजे गए. पुलिस सभी को समझाने-बुझाने का प्रयास कर रही थी लेकिन वह मानने को तैयार नहीं थे. इसी बीच डीएम अंशुल अग्रवाल को इस बात की जानकारी हुई और उन्होंने यह कहा कि वह जिले में नए आए हैं ऐसे में वह ग्रामीणों से मिल कर उनकी बात सुनना और समझना चाहते हैं. हो सकता है कि बातचीत से उनके समस्या का हल हो जाए. ऐसे में उन्होंने किसानों को 4:00 समाहरणालय सभाकक्ष में मिलने के लिए बुलाया है.

जिला पदाधिकारी के इस संदेश को मुफस्सिल थानाध्यक्ष निर्मल कुमार के द्वारा मौके पर मौजूद ग्रामीणों के बीच पहुंचाया गया और यह कहा गया कि वह समाहरणालय सभागार में डीएम के सामने अपनी बातों को रखें, जिससे कि उनकी समस्या का हल निकाला जा सके. फिलहाल जिले के प्रबुद्ध यह उम्मीद जता रहे हैं कि जिला पदाधिकारी के इस कदम के बाद इस समस्या का हल अवश्य निकल जाएगा. 

क्या है मामला : 

दरअसल, निर्माणाधीन 1320 मेगावॉट के चौसा थर्मल पावर प्लांट के निर्माण के लिए कंपनी ने 2013 से भूमि अधिग्रहण शुरू किया और थर्मल पावर प्लांट का निर्माण शुरू कर दिया चौसा में थर्मल पावर प्लांट निर्माण की सूचना पर वहां जमीन की कीमतें आसमान छूने लगी. जमीन की कीमतों में हो रही अप्रत्याशित वृद्धि सरकार के द्वारा निर्धारित दर से कई गुना अधिक थी. इसी बीच वर्ष 2021 में थर्मल पावर प्लांट के द्वारा रेल और वाटर कॉरिडोर के लिए कुछ लोगों की जमीन अधिग्रहित की जाने लगी. किसान अब सरकार के द्वारा निर्धारित दर को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं जिस पर एल ए आर कोर्ट में मामला भी चल रहा है. मामले की सुनवाई भी त्वरित गति से हो रही है, जिससे अधिकांश किसान संतुष्ट है. लेकिन इन्हीं किसानों की देखा देखी कुछ ऐसे किसान जिन्होंने पूर्व में पावर प्लांट में अपनी जमीन दी थी वह भी मुआवजा बढ़ाकर देने की मांग कर रहे हैं. उनका मामला भी न्यायालय में विचाराधीन है. सभी किसान न्यायालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. उनके द्वारा रेल और वाटर कॉरिडोर के निर्माण में अवरोध भी नहीं पैदा किया जा रहा. लेकिन तकरीबन चार से पांच किसानों का यह कहना है कि वह काम तब तक नहीं होने देंगे जब तक उन्हें मनमाफिक मुआवजा नहीं मिल जाता. ऐसे में भारत सरकार की महत्वकांक्षी परियोजना पर ग्रहण लग रहा है.









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