बताया कि मां हमेशा घर की चहारदिवारी में कैद रहती थीं. वर्ष 2015 में पिताजी की मृत्यु हो गई जिसके बाद मां ने कहा कि कि मैं पास के बेल्लूर मंदिर तक कभी न जा सकी. यह बात उनको चुभ गई और उन्होंने कहा कि मां के तीर्थदर्शन की लालसा है, यदि मैं यह नहीं करा सका तो मुझे धिक्कार है.
- मैसूर के 44 वर्षीय दी कृष्ण कुमार ने इंजीनियर की नौकरी छोड़ शुरु की मातृ सेवा
- अविवाहित रहकर माता को तीर्थ यात्रा कराने का लिया संकल्प
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : त्रेतायुग के श्रवण कुमार की आपने खूब कहानी देखी, पढ़ी व सुनी होगी. उन्होंने किस प्रकार आंखों से दिव्यांग माता-पिता को कांवर में बैठाकर तीर्थदर्शन कराया था. ठीक उसी तर्ज पर कर्नाटक मैसूर के 44 वर्षीय डी कृष्ण कुमार श्रवण कुमार की भूमिका निभा रहे हैं. मां की इच्छा को पूरा करने के लिए अजब संकल्प लिया है और उसे पांच साल से पूरा कर रहे हैं. 24 साल पुरानी स्कूटर से वह 73 वर्षीय मां चूड़ा रत्ना को भारत दर्शन कराने निकले हैं. उन्होंने 16 जनवरी 2018 मैसूर से यात्रा शुरू की जो अनवरत जारी है. मां को स्कूटर पर बैठाकर भारत के तार्थस्थलों सहित दार्शनिक स्थलों का भ्रमण करा रहे हैं. यात्रा के क्रम में बक्सर पहुंचे हुए हैं जहां वह लक्ष्मी नारायण मंदिर में निवास कर रहे हैं.
बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया कि मां हमेशा घर की चहारदिवारी में कैद रहती थीं. वर्ष 2015 में पिताजी की मृत्यु हो गई जिसके बाद मां ने कहा कि कि मैं पास के बेल्लूर मंदिर तक कभी न जा सकी. यह बात उनको चुभ गई और उन्होंने कहा कि मां के तीर्थदर्शन की लालसा है, यदि मैं यह नहीं करा सका तो मुझे धिक्कार है. कलयुग के यह श्रवण कुमार 65 हजार रुपये की नौकरी छोड़कर मां की इच्छापूर्ति में लगे हुए हैं. स्कूटर उनके पिता ने गिफ्ट की थी, उसी से मां को भारत भ्रमण करा रहे हैं.
68 हजार किमी का तय किया सफर :
डी कृष्णकुमार ने बताया कि कन्याकुमारी से कश्मीर तक पुण्यक्षेत्र का भ्रमण किया है, यूपी और बिहार राज्य छूट गए थे, जिनका सफर तय कर रहे हैं. अभी तक 68 हजार 363 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर ली है. खास बात यह है कि इस यात्रा में वे किसी से धन की मदद नहीं लेते बल्कि जमा पूंजी से मां को तीर्थदर्शन करा रहे हैं.
अविवाहित रहकर मां को तीर्थाटन कराने का संकल्प :
डी कृष्ण कुमार ने बताया कि मां को केरल, तामिलनाडु, पांडिचेरी, कर्नाटका, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार के कुछ हिस्से पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय त्रिपुरा, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड अरुणाचल प्रदेश सहित अन्य प्रदेश नेपाल, म्यामार आदि की यात्रा कर चुके हैं. खास बात तो यह है कि कृष्णकुमार अविवाहित रहकर मां को संपूर्ण तीर्थदर्शन कराने का संकल्प लिया है. उन्होंने कहा कि मां को स्कूटर में इसलिए यात्रा करा रहे है कि उनको उससे पिता के होने का अहसास होता है. प्रतिदिन 150 किमी का सफर तय कर रहे हैं.
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