घायल को डायल - 112 की मदद से पहले प्रताप सागर मेथोडिस्ट अस्पताल तथा फिर बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया. जबकि देर रात हुई सड़क दुर्घटना में मृत दिव्यांग का शव पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों के हवाले कर दिया गया.
- राष्ट्रीय राजमार्ग-922 पर हुए दो हादसे, एक मोहनिया रोड में
- जानवर को बचाने में अनियंत्रित हुई स्कूटी, अज्ञात बाइक चालक ने दिव्यांग को मारी टक्कर
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : राष्ट्रीय राजमार्ग 922 पर दो अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में जहां एक दिव्यांग की मौत हो गई वहीं, एक स्कूटी सवार घायल हो गया. घायल को डायल - 112 की मदद से पहले प्रताप सागर मेथोडिस्ट अस्पताल तथा फिर बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया. जबकि देर रात हुई सड़क दुर्घटना में मृत दिव्यांग का शव पोस्टमार्टम कराने के बाद परिजनों के हवाले कर दिया गया. इसके अतिरिक्त मंगलवार की अल सुबह चौसा के बनारपुर के पास हुई एक सड़क दुर्घटना में एक तेज रफ्तार कार एक झोपड़ी में घुस गई. कार मोहनिया की तरफ से आ रही थी. हादसे के बाद कार सवार सभी मौके से फरार हो गए. कार पर चंडीगढ़ का नंबर लिखा हुआ है. ऐसे में मौके पर पहुंची पुलिस छानबीन शुरू कर चुकी है. हालांकि इस दुर्घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है.
पहली दुर्घटना सोमवार की दोपहर में हुई जब बक्सर नगर निवासी 41 वर्षीय व्यक्ति तरुण कुमार स्कूटी पर सवार होकर पुराना भोजपुर की तरफ जा रहे थे. इसी बीच चंदा गांव के समीप अचानक एक जानवर स्कूटी के सामने आ गया, जिसके कारण तरुण को अचानक ब्रेक मारना पड़ा. लेकिन इस दौरान उसकी स्कूटी अनियंत्रित हो गई और वह काफी दूर तक घिसटता चला गया. डायल 112 के पीटीसी पृथ्वी टुड्डू ने बताया कि हेलमेट पहनने के कारण युवक के सिर में गंभीर चोट नहीं लगी थी, जिसके कारण उसकी स्थिति खतरे से बाहर है. लेकिन काफी दूर तक घिसटने के कारण उसके हाथ और पैर में गंभीर चोट लगी थी. इस दुर्घटना में उसकी स्कूटी के परखच्चे उड़ गए.
दूसरी दुर्घटना बीती रात तकरीबन 11 बजे चुरामनपुर के समीप हुई जब पकौड़ी यादव नामक एक 45 वर्षीय दिव्यांग व्यक्ति राष्ट्रीय राजमार्ग 922 पार कर रहा था, इसी बीच एक अज्ञात बाइक चालक ने उसे जोरदार टक्कर मार दी. टक्कर में बुरी तरह घायल होने के बाद परिजनों के द्वारा दिव्यांग को अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन अस्पताल पहुंचते ही चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. घटना के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया. मृतक दिव्यांग होने के बावजूद ई-रिक्शा चलाते थे, जिससे के पूरे परिवार का भरण पोषण होता था.
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