ममंदिर से रथयात्रा शुरु होने के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्र से भगवान जगन्नाथ व जय श्रीराम के नारे लगाए जा रहे थे. वहीं, शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालु भगवा वस्त्र पहले हुए थे, जो आकर्षण का केन्द्र रहा.
- 100 वर्षों से चली आ रही है परंपरा
- शोभायात्रा में शामिल हुए हजारों ग्रामीण
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : अनेकताओं में एकता वाले इस देश को एक सूत्र में बांधने में धार्मिक आयोजनों का बड़ा महत्व है. पर्व-त्योहरों तथा धार्मिक अनुष्ठानों के कारण ही भाषाई विविधता के बावजूद हम एक दूसरे की परंपराओं को जानते तथा उसका अनुकरण करते हैं. मंगलवार को कुछ ऐसा ही नजारा सिमरी अंचल के नियाजीपुर गांव में देखने को मिला. अमूमन भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा दक्षिण भारत में ही देखने को मिलती है, लेकिन मंगलवार को नियाजीपुर स्थित प्राचीन राम जानकी मंदिर से भगवान जगन्नाथ की भव्य शोभा यात्रा निकाली गई. इस दौरान हजारों श्रद्धालु गाजे, बाजे, हाथी, घोड़ा व डीजे साथ इस शोभा यात्रा में शामिल हुए. उनके जयघोष से इलाके का माहौैल भक्तिमय बन गया था. पूरे दिन यात्रा गांव के विभिन्न मार्गों से गुजरते हुए पुनः मंदिर परिसर पहुंच संपन्न हुई. इस दौरान जगह जगह पर श्रद्धालु इस शोभायात्रा पर पुष्पवर्षा भी कर रहे थे. इसके पहले मंदिर के महंथ अर्जुन दास नागा बाबा ने वैदिक विधान से रथ की पूजा अर्चना की. रथ को झांकी के रूप में आकर्षक ढंग से सजाया गया था. मंदिर से रथयात्रा शुरु होने के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्र से भगवान जगन्नाथ व जय श्रीराम के नारे लगाए जा रहे थे. वहीं, शोभा यात्रा में शामिल श्रद्धालु भगवा वस्त्र पहले हुए थे, जो आकर्षण का केन्द्र रहा. इस शोभायात्रा को संपन्न कराने में कार्यकर्ता के रूप में सचिन पाठक, महाबली दूबे, राजू दूबे, अग्नि पाठक, अनीश पाठक, अरविंद पाठक, अनिल ठाकुर, जय प्रकाश राणा, पंकज कुमार, अभिषेक कुमार, दीपक पाठक, बलिराम कुमार, अभिषेक पाठक, विश्वकर्मा कुमार, सुरेंद्र शर्मा, गोलू पाठक, पिंटू पाठक समेत सैकड़ो कार्यकर्ताओं का सहयोग रहा.
100 साल से चली आ रही है परंपरा :
ग्रामीणों की मानें तो नियाजीपुर के श्रीराम जानकी मंदिर से भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा पिछले 100 सालों से निकाली जा रही है. यह जिले का संभवतः ऐसा पहला मंदिर है जहां से पहली बार भगवान जगन्नाथ की शोभा यात्रा निकाली गई है. ग्रामीण तथा शोभायात्रा तैयारी समिति के अग्रणी अवनीश कुमार पाठक ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि उनके गांव में 100 सालों से यह परंपरा चली आ रही हैं. उन्होंने कहा कि इस रथयात्रा के प्रति ग्रामीणों में जबर्दस्त उत्साह रहता है तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण इस आयोजन को सफल बनाने में तन, मन तथा धन से सहयोग करते हैं.
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