उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने अधिवक्ताओं को दिया जीवन का मूल मंत्र ..

कहा कि स्ट्रगल से घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसे आगे बढ़ने के लिए एक सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए. अपने ओजस्वी संबोधन के बीच उन्होंने कहा कि लोगों को अपने मूल से सदैव जुड़ा रहना चाहिए तथा अपने अतीत को कभी नहीं भूलना चाहिए. 

 





- कहा - संघर्ष से ही मिल सकती है निश्चित सफलता
- बोले - ऊपर उठने पर नहीं मिलती है बहुत ज्यादा भीड़

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : निचले स्तर पर ही भीड़ भाड़ देखने को मिलती है. थोड़ा परिश्रम कर जैसे जैसे आप ऊपर बढ़ते जाएंगे भीड़ कम मिलेगी. मेहनत का कोई दूसरा विकल्प नहीं है और इसी के सहारे कोई भी व्यक्ति ऊंचाई तक पहुंच सकता है. यह कहना है  झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस एन पाठक का. जिला अधिवक्ता संघ के द्वारा पुस्तकालय भवन में आयोजित सम्मान समारोह में अधिवक्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही.

जिले के निवासी श्री पाठक बिहार-झारखंड के बंटवारे के बाद झारखंड उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस करने लगे थे. बाद में उन्हें न्यायमूर्ति बनाया गया था. उन्होंने कहा कि स्ट्रगल से घबराना नहीं चाहिए बल्कि उसे आगे बढ़ने के लिए एक सीढ़ी के रूप में इस्तेमाल करना चाहिए. अपने ओजस्वी संबोधन के बीच उन्होंने कहा कि लोगों को अपने मूल से सदैव जुड़ा रहना चाहिए तथा अपने अतीत को कभी नहीं भूलना चाहिए. न्यायाधीश ने श्रोताओं को काफी देर तक भोजपुरी भाषा में भी संबोधित किया.
 
मौके पर मौजूद संघ के महासचिव बिंदेश्वरी प्रसाद पांडेय उर्फ पप्पू पांडेय ने बातचीत के दौरान अधिवक्ताओं की मूलभूत समस्याओं से अवगत कराते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा कई अवसरों पर सामान्य लोगों की मदद की जाती है लेकिन अधिवक्ताओं के लिए ऐसा कोई विकल्प नहीं दिया गया है .श्री पाठक ने आश्वासन दिया तथा कहा कि बिहार के कानून मंत्री के पास वह लोग इस आशय का एक एक पत्र लिखें साथ ही उसकी एक प्रतिलिपि उनको भी दे दी जाए जिसके बाद अधिवक्ताओं के कल्याण के लिए प्रयास किया जाएगा.

कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन वरीय अधिवक्ता एवं पत्रकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन महासचिव पप्पू पांडेय ने दिया. इस अवसर पर संघ के अध्यक्ष बबन ओझा के साथ ही अधिवक्ता जनार्दन राय, शिवपूजन लाल, सत्य प्रकाश पांडेय आदि कई अधिवक्ता उपस्थित थे.









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