वीडियो : श्रीराम की प्रतिमा स्थापना के नाम पर गरमाई राजनीति : सामने आया केंद्रीय विद्यालय का मुद्दा ..

जमीन नहीं होने के कारण केंद्रीय विद्यालय के बच्चे एमपी उच्च विद्यालय के परिसर में किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित होती है तो उसके पहले उनके गुरु महर्षि विश्वामित्र की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए.





- बक्सर में भगवान श्रीराम 1008 फीट ऊंची प्रतिमा होनी है स्थापित
- अलग-अलग दलों के नेताओं के द्वारा दी गई अलग-अलग प्रतिक्रियाएं

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर: जिले में एक हजार फीट से ज्यादा ऊंची पराक्रमी मुद्रा में भगवान श्रीराम की प्रतिमा लगाने की बात को लेकर अलग-अलग दलों के द्वारा अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं. जदयू ने जहां इसे जुमला करार दिया है वहीं, दूसरी तरफ भाजपा के द्वारा यह कहा जा रहा है कि भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापना से पूर्व केंद्रीय विद्यालय को जमीन मिलनी चाहिए और अगर भगवान श्री राम की प्रतिमा लग ही रही है तो उसके पूर्व महर्षि विश्वामित्र की प्रतिमा लगनी चाहिए. इन सबसे अलग माले विधायक का कहना है कि जो राशि प्रतिमा में खर्च हो रही है उससे विकास के कई अन्य कार्य हो सकते थे.

दरअसल, पिछले दिनों आयोजित सनातन संस्कृति समागम कार्यक्रम के दौरान बक्सर सांसद सह केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने मंच से ही यह घोषणा की थी कि बक्सर में भगवान श्री राम की पराक्रमी मुद्रा में 1008 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाएगी यह प्रतिमा विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा होगी क्योंकि अब तक गुजरात में लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 697 फीट ऊंची प्रतिमा विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा है. पिछले दिनों प्रतिमा स्थापना को लेकर जिओ मैपिंग भी कराई गई जिसके बाद फिर राजनीति और भी गर्म हो गई और अब अलग-अलग दलों के द्वारा इस मामले में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं.

मामले में जदयू नेता संजय सिंह क्या कहना है कि प्रतिमा स्थापना किए जाने की बात सांसद के द्वारा की गई केवल जुमलेबाजी हैं क्योंकि जिला मुख्यालय ही नहीं पूरे जिले में इतनी जमीन नहीं है कि जहां इतनी विशाल प्रतिमा स्थापित की जा सके. भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राणा प्रताप सिंह कहते हैं कि भगवान श्रीराम की प्रतिमा की स्थापना से पूर्व केंद्रीय विद्यालय के लिए 5 एकड़ जमीन मिलना अति आवश्यक है क्योंकि आज जमीन नहीं होने के कारण केंद्रीय विद्यालय के बच्चे एमपी उच्च विद्यालय के परिसर में किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी करते हैं. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित होती है तो उसके पहले उनके गुरु महर्षि विश्वामित्र की प्रतिमा स्थापित होनी चाहिए क्योंकि यदि महर्षि विश्वामित्र नहीं होते तो श्रीराम श्रीराम नहीं होते.

उधर, डुमरांव से माले विधायक अजीत कुमार सिंह का कहना है कि वह प्रतिमा स्थापना की घोषणा के बाद से ही इस बात का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि प्रतिमा स्थापना कराना किसी सांसद का काम नहीं है. सांसद का जो कर्तव्य है उसे वह करना चाहिए. प्रतिमा तो पुजारी स्थापित कराते हैं. सांसद को और भी विकास के कार्य करने चाहिए और जितने पैसे भगवान श्री राम की प्रतिमा स्थापित करने में खर्च हो रहे हैं. उससे स्कूल कॉलेज और अस्पतालों की स्थापना जैसे विकास के कई कार्य किए जा सकते हैं.

बहरहाल, भगवान श्रीराम की प्रतिमा की स्थापना जिले में कहां और कब होगी यह बात तो भविष्य के गर्भ में छिपी हुई है लेकिन भगवान के नाम पर सभी को राजनीति करने का पूरा मौका तो मिल ही गया है.

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