दिहाड़ी मजदूर से कम मानदेय पर कार्यरत हैं अतिथि शिक्षक : संघ

कहा कि राज्य में करीब चार हज़ार अतिथि शिक्षक पांच साल से प्लस टू विद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं और उनके मानदेय में एक पैसा की बढ़ोतरी नहीं हुई है. आधे से अधिक अतिथि शिक्षक महिला हैं और उनका मानदेय दिहाड़ी मजदूर से भी कम है.







- अतिथि शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष ने कही बात
- सरकार से सेवा नियमित करने और मानदेय बढ़ाने की मांग

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : उच्चतर माध्यमिक अतिथि शिक्षक संघ ने राज्य में प्लस टू विद्यालयों में कार्यरत सभी अतिथि शिक्षकों को हर माह नियत मानदेय पर नियमित करने की मांग की है. अतिथि शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष ब्रजेश दत्त पांडेय ने कहा कि राज्य में करीब चार हज़ार अतिथि शिक्षक पांच साल से प्लस टू विद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं और उनके मानदेय में एक पैसा की बढ़ोतरी नहीं हुई है. आधे से अधिक अतिथि शिक्षक महिला हैं और उनका मानदेय दिहाड़ी मजदूर से भी कम है.

उन्होंने ने बताया कि जून माह में सभी अतिथि शिक्षकों का मानदेय मात्र 3000 रुपये ही बना है. क्योंकि विद्यालय कार्य दिवस के आधार पर ही दिहाड़ी मजदूर की तरह उनका मानदेय प्रत्येक कार्यदिवस को मात्र 1000 रु ही है, इतना मानदेय जिले में बढ़ई, पेंटर,प्लम्बर आदि पा रहे हैं और रोज कमा रहे हैं. अतिथि शिक्षकों को विद्यालय में कक्षा लेने पर ही मानदेय मिलेगा, भले ही वे स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को विद्यालय जाएंगे लेकिन उस दिन का मानदेय नहीं मिलेगा. अतिथि शिक्षकों की सेवा से विद्यालयों में शिक्षा का नाम गुणात्मक सुधार आया है और परिणाम भी उत्साहवर्धक हैं. अतिथि शिक्षकों की सेवा चुनाव, मतगणना आदि में राज्यकर्मियों की तरह ली जाती रही हैं इसलिए सभी अतिथि शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देते हुए सेवा नियमित की जाए.

श्री पांडेय ने बताया कि राज्य में आधे से अधिक महिला  ही अतिथि शिक्षकों के रूप में कार्यरत हैं और उन्हें किसी प्रकार की अवकाश देय नहीं हैं. उन्होंने कहा कि सभी अतिथि शिक्षक स्नातकोत्तर डिग्री एवं बी एड डिग्री हासिल कर विद्यालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं और एन सी टी ई के प्रावधानों के अनुसार प्लस टू विद्यालयों में नियमित सेवा के लिए अर्ह है. लेकिन अतिथि शिक्षकों का मानदेय न्यूनतम मजदूरी से भी कम है अतः उन्होंने राज्य सरकार से मानदेय बढ़ाने मासिक वेतन तय करने और सेवा 60 साल तक नियमित करने की मांग की है.











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