गुमनामी का जीवन जी रहे आजादी के दीवानों के परिजन, प्रशासन ने अंग वस्त्र ओढ़ा कर पूरा किया कोरम ..

सरकारी महकमे के एक भी व्यक्ति ने उन शहीदों के दरवाजे पर जाकर उनकी आर्थिक स्थिति को जानने का प्रयास नही किया, जिनकी बदौलत आज देश अमृतमहोत्सव मना रहा है. स्वतंत्रता की 77 वीं वर्षगांठ पर जश्न मनाया जा रहा है. लेकिन जिसके बदौलत देश को आजादी मिली आज उनका परिवार गुमनामी का जीवन जी रहा है और उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है.





- शहीदों के परिजनों के घर तक नहीं पहुंच सका प्रशासन
- केवल बातें बनाते दिखाई दिए विधायक 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : राजा-महाराजाओं के शहर डुमरांव में शहीदों के याद में आज राजकीय समारोह का आयोजन किया गया था. जिलाधिकारी से लेकर तमाम पदाधिकारी एवं स्थानीय विधायक ने भी इस राजकीय समारोह में शिरकत की. जिला प्रशासन के द्वारा शहीद वीर सपूतों के परिजनों को कार्यक्रम स्थल पर बुलाकर हर साल की भांति इस साल भी अंग वस्त्र देकर कोरम पूरा किया गया. लेकिन सरकारी महकमे के एक भी व्यक्ति ने उन शहीदों के दरवाजे पर जाकर उनकी आर्थिक स्थिति को जानने का प्रयास नही किया, जिनकी बदौलत आज देश अमृतमहोत्सव मना रहा है. स्वतंत्रता की 77 वीं वर्षगांठ पर जश्न मनाया जा रहा है. लेकिन जिसके बदौलत देश को आजादी मिली आज उनका परिवार गुमनामी का जीवन जी रहा है और उनकी सुध लेने वाला भी कोई नहीं है.


आज ही के दिन 16 अगस्त  1942 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आह्वान पर डुमरांव के क्रांतिकारियों ने डुमरांव स्थित थाने पर तिरंगा लहराया था.  अंग्रेजी सिपाहियो के द्वारा गोलियां बरसाई जा रही थी, लेकिन आजादी के इन चार दीवानो ने भारत मां के जयकारे का जयघोष करते हुए तिरंगे झंडे को गिरने नहीं दिया और डुमरांव के चार सपूतों कपिल मुनि प्रसाद, गोपालजी, रामदास सोनार और रामदास लोहार ने अपनी शहादत देकर तिरंगा फहरा दिया.

शहीदों का यह कैसा सम्मान?

वीर सपूतों के याद में आयोजित राजकीय समारोह में पहुंचे जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने कहा कि इस राजकीय समारोह के माध्यम से उन शहीदों के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है. उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित की जाती है. उनके बलिदान से एक प्रेरणा मिलती है. हमेशा राष्ट्रहित के लिए तत्पर रहना चाहिए. लेकिन शहीदों का यह कैसा सम्मान है कि कार्यक्रम स्थल से चंद कदम की दूरी पर स्थित उन वीर सपूतों के वंशज गरीबी और गुमनामी के जीवन जी रहे हैं, उनसे मिलने भी कोई नहीं गया. उन्हें एक भी सरकारी योजना का आज तक लाभ नही मिला

जिन्होंने देश के लिए दे दी कुर्बानी उनके परिजनों को आवास योजना का लाभ तक नहीं :

वहीं जब शहीदों के परिजनों से हमने बात की तो सरकार के रवैये से असंतुष्ट दिखे. शहीद कपिलमुनि के परिजन शम्भू चंद्रवंशी ने बताया की शहीदों के वंशजों की स्थिति काफि खराब हो चुकी है. जिसपर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. यह आयोजन केवल दिखावा बनकर रह गया है. वहीं, शहीद स्मारक समिति के सदस्य दीनानाथ कुशवाहा ने बताया कि, शहीदों के वंशजों की स्थिति देखकर आंसू आ जातें हैं. वर्षो से यह हमारी मांग है कि शहीदों के परिजनों को 6 कट्ठा जमीन , इंदिरा आवास योजना का लाभ, और पेंशन दिया जाए. यह छोटी सी  मांग  दशकों से पूरा नही किया जा रहा है. जबकि आजादी के नाम पर हमारे वंशजों ने अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्योछावर कर दिया था.

वोट के समय लोग देते हैं आश्वासन : 

इस कार्यक्रम में शिरकत करने पहुचे डुमरांव विधायक अजीत कुमार सिंह ने कहा कि हमें गर्व है कि हम उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि हैं जहां से 21 लोगों ने शहादत दी थी. शहीदों के परिजनों की मांगों के बारे में पूछे जाने पर माले विधायक ने कहा कि जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी समाधान यात्रा पर आए थे तो उनके समक्ष मांग भी रखी गई थी. उम्मीद है कि मांगे जल्द पूरी होंगी. 

बहरहाल, विधायक की मांगों के जल्द पूरा होने के भरोसे में कितना दम है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन देखते ही देखते आजादी का 77 साल गुजर चुके हैं फिर भी जल्द ही आने वाला वह दिन अब तक नहीं आ सका है.







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