भव्य कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ ..

आचार्य के मुताबिक वेद, पुराण तथा स्मृति आदि के द्वारा बताया गया है कि धर्म के महान अंग यज्ञ में जब प्रातः काल कलश लेकर भक्त गण जल भरने हेतु यात्रा करते हैं तो भगवान श्री हरि उनके बढ़ते हुए एक-एक पग को अपनी पूजा के रूप में स्वीकार करते हैं. 







- पूरे नगर में निकाली गई भव्य कलश यात्रा
- शामिल हुए श्रद्धालु नर-नारी, आचार्य ने बताया कलश यात्रा का महत्व

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : वैसे तो भगवान की पूजा की‌अनन्त विधियों का वर्णन मिलता है किन्तु मनुष्य अपने पैरों से भी भगवान की पूजा कर सकता है यह विधि अत्यल्प लोगों को पता है. सर्व जन कल्याण सेवा समिति बक्सर यह सौभाग्य दिनांक आज बक्सर के लोगों को सुलभ कराई गई हैं. ये बातें कथा वाचक आचार्य कृष्णानंद पौराणिक शास्त्री जी ने कहीं. उन्होंने बताया कि श्रीभद्भागवतकथा सह लक्ष्मीनारायणयज्ञ का भव्य आयोजन 6 से 13 अगस्त 2023 तक किया गया है. जिसकी शोभा(कलश) यात्रा नगर भ्रमण ने आज को प्रातःकाल सुबह 7 बजे राम रेखा घाट रामेश्वर नाथ मन्दिर से निकल पूरे नगर का भ्रमण करते रामेश्वर नाथ मंदिर में पहुंचकर संपन्न हुई. इसमें काफी संख्या में श्रद्धालु नर-नारी शामिल हुए.

आचार्य के मुताबिक वेद, पुराण तथा स्मृति आदि के द्वारा बताया गया है कि धर्म के महान अंग यज्ञ में जब प्रातः काल कलश लेकर भक्त गण जल भरने हेतु यात्रा करते हैं तो भगवान श्री हरि उनके बढ़ते हुए एक-एक पग को अपनी पूजा के रूप में स्वीकार करते हैं. कलश यात्रा सूर्योदय के 3 घंटे के भीतर प्रारंभ होकर मध्याह्न से पूर्व यज्ञ मण्डप पर पहुंच जाए तभी पैरों से यज्ञनारायण की पूजा मानी जाती है.


उन्होंने बताया कि समिति का यह पन्द्रहवां धर्मायोजन है और प्रत्येक वर्ष समिति इसी नियम के तहत यज्ञ नारायण भगवान की पैरों से पूजा करती व बक्सर वासियों से कराती आ रही है. वेदों में कहा गया है कि --+कि यानि कानि  च पानी जन्मान्तर कृतानि च ------- 
पुराणों में कहा गया कि----- पदे पदेभ्य: परिपूजकेभ्य: सद्य: स्वमेधादिफलंददाति.
तान्सर्वपापक्षय हेतु भूतां प्रदक्षिणां ते परित: करोमि.
यह पैर से होने वाली पूजा सभी पाप, ताप, संताप को नष्ट करके एक-एक पद से दस-दस अश्वमेध यज्ञ का फल देती है.











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