थानों में जनता दरबार लगाए जा रहे हैं वहीं, अनुमंडल पदाधिकारी तमाम रणनीति बनाकर मामलों को निष्पादित करने की योजना बना रहे हैं. इसी बीच जिले के चौगाईं के दक्षिण पोखरा तथा उसके पास स्थित प्राचनी शिवमंदिर का अस्तित्व बचाने के लिए स्थानीय ग्रामीण सड़क पर उतर आए हैं.
- ग्रामीणों का आरोप- सार्वजनिक जमीन को सर्वे में करा लिया गया है रैयती
- बोले प्रभारी सीओ - 1970 के सर्वे में रैयती हो चुकी है जमीन
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जनता दरबार में एक साथ कई मामले सामने आने के बाद मुख्यमंत्री नितीश कुमार जहां स्वयं भूमि विवाद के मामलों को लेकर गंभीरता दिखा रहे हैं. वहीं उनके निर्देश पर जिला प्रशासन भी भूमि विवाद के बढ़ते मामलों के निष्पादन के लिए तमाम प्रयास कर रहा है. थानों में जनता दरबार लगाए जा रहे हैं वहीं, अनुमंडल पदाधिकारी तमाम रणनीति बनाकर मामलों को निष्पादित करने की योजना बना रहे हैं. इसी बीच जिले के चौगाईं के दक्षिण पोखरा तथा उसके पास स्थित प्राचीन शिवमंदिर का अस्तित्व बचाने के लिए स्थानीय ग्रामीण सड़क पर उतर आए हैं. हालांकि अंचलाधिकारी इस मामले में अपनी लाचारी ही दिखा रहे हैं और यह कह रहे हैं कि न्यायालय के आदेशानुसार ही कुछ भी हो सकता है.
दर्जनों ग्रामीणों ने एक दिवसीय धरना दे इस जमीन के साथ ही प्राचीन शिवमंदिर, तालाब, पिंड तथा उस पर लगे पेड़-पौधों का अस्तित्व बचाने की मांग शासन प्रशासन से की है. यह धरना चौगाईं पेट्रोल पंप व मंदिर जाने वाले रास्ते के बीच आयोजित किया गया था. जिसकी अध्यक्षता अभिजीत सिंह व संचालन अमित सिंह ने किया.
वक्ताओं ने कहा कि दशकों से पूरा गांव इस प्राचीन शिव मंदिर में पूजा अर्चना करता है. लोक आस्था का महापर्व छठ भी मंदिर के पास स्थित तालाब के किनारे संपन्न होता है. वहीं पिंड तथा पेड़ पौधे भी है. लेकिन भू-माफियाओं द्वारा इस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर बेचा जा रहा है. इसी के विरोध में ग्रामीणों ने धरना दिया था. ग्रामीणों ने इस जमीन को भू-माफियाओं के चंगुल से मुक्त कराने तथा जल जीवन हरिायाली योजना के तहत तालाब का जीर्णोद्धार कराने की मांग भी की है. धरना देने वालों में कुमार विजय, नरेन्द्र कुमार सिंह, रमेश सिंह, राजेंद्र सिंह, दीना सिंह, मिठू सिंह, सोनू सिंह, अभयजीत सिंह, संजीव मेहता, राजकुमार सोनार, दीनानाथ सिंह, भरत महतो, श्रीभगवान महतो समेत दर्जनों लोग मौजूद थे.
कहते हैं प्रभारी अंचलाधिकारी :
यह जमीन 1907 के सर्वे में सर्वसाधारण की जमीन थी. लेकिन 1970 के सर्वे में यह रैयती हो गई है. 2014 में ग्रामीणों द्वारा इस मुद्दे पर सिविल कोर्ट में परिवाद भी दाखिल किया गया है. लेकिन उसमें अभी तक स्टे नहीं मिला है. इस मामले में नियमानुकुल कार्रवाई करेंगे.
अजीत कुमार सिंह,
प्रभारी अंचलाधिकारी, चौगाईं
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