असामाजिक तत्वों ने बंद कराया थर्मल पावर प्लांट का कार्य, श्रमिकों को भगाया, हर दिन हो रहा दो करोड़ का नुकसान ..

श्रमिकों की बस्तियों में प्रवेश कर उनके ऊपर काम पर नहीं जाने का दबाव बनाया गया. श्रमिकों से यह भी कहा गया कि यदि वह काम पर जाते हैं तो अंजाम बुरा होगा ऐसे में डरे-सहमे श्रमिकों ने काम पर जाना छोड़ दिया और एक-दो दिन इंतजार करने के बाद सभी वापस अपने घरों को लौट गए.






- किसानों के वेश में पहुंचे असामाजिक तत्वों ने मचाया उत्पात
- श्रमिकों की बस्तियों में पहुंचकर डराया-धमकाया, मजदूरों ने किया पलायन 

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : चौसा का निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट का काम पिछले तीन दिनों से प्रभावित है, जिसके कारण भारत सरकार की अति महत्वपूर्ण योजना के कार्यान्वयन में विलंब हो रहा है वहीं दूसरी तरफ परियोजना के बंद होने से 2 करोड रुपए का शुद्ध नुकसान प्रतिदिन हो रहा है. ऐसे में कहीं ना कहीं यह नुकसान उत्पादित बिजली की लागत को बढ़ाएगा जिसका सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा. सीधे शब्दों में जनता को महंगी बिजली मिलेगी.

दरअसल, रविवार को ही चौसा के कुछ कथित किसान नेताओं के द्वारा 10-15 लोगों के साथ मिलकर निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट क्षेत्र में एक रैली निकाली गई और इस दौरान श्रमिकों को डरा-धमका कर भगा दिया गया. इस रैली में शामिल लोगों ने श्रमिकों की बस्तियों में प्रवेश कर उनके ऊपर काम पर नहीं जाने का दबाव बनाया गया. श्रमिकों से यह भी कहा गया कि यदि वह काम पर जाते हैं तो अंजाम बुरा होगा ऐसे में डरे-सहमे श्रमिकों ने काम पर जाना छोड़ दिया और एक-दो दिन इंतजार करने के बाद सभी वापस अपने घरों को लौट गए. उधर बुधवार को एक बार फिर जूलूस निकाला गया था. इस दौरान थर्मल पावर प्लांट के अधिकारियों को भी प्लांट में घुसने से रोका जा रहा था लेकिन बाद में उन्हें पुलिस सुरक्षा में प्लांट तक पहुंचाया गया. खास बात यह है कि किसी भी जूलूस, धरना अथवा प्रदर्शन की पूर्व सूचना अनुमंडल पदाधिकारी अथवा किसी अन्य पदाधिकारी को नहीं दी गई थी.

परियोजना प्रभावित क्षेत्र के श्रमिकों ने भी किया काम बंद :

निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट पर तकरीबन 5000 श्रमिक काम करते हैं, जिनमें तकरीबन 1300 श्रमिक परियोजना प्रभावित क्षेत्र के हैं. एक तरफ जहां अपनी नेतागिरी के दौरान कथित किसान नेताओं के द्वारा दूसरे जिलों से आए श्रमिकों को भगा दिया गया वहीं दूसरी तरफ परियोजना प्रभावित क्षेत्र के श्रमिकों को भी निर्माणाधीन पावर प्लांट में जाने से रोका जा रहा है. ऐसे में काम पूरी तरह ठप हो गया है.

99 फीसद रैयतों ने लिया मुआवजा :  

मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय कुमार गर्ग ने बताया कि निर्माणाधीन थर्मल पावर प्लांट के लिए अधिग्रहित 1058 एकड़ भूमि के 1274 रैयतों के द्वारा  अपनी जमीनों के बदले मुआवजा ले लिया गया है लगभग एक फ़ीसदी लोग जिनकी संख्या करीब 25 होगी उनको अलग-अलग कारणों मुआवजा नहीं मिल पाया. उधर, रेल और वाटर कॉरिडोर के लिए अधिग्रहित की जाने वाली भूमि के प्रभावित 1386 रैयतों में से अधिकांश रैयत अपना मुआवजा लेने के लिए जमीन की दाखिल-खारिज, एलपीसी और वंशावली जैसे कागजात बनवा रहे हैं जिनमें प्रशासन उनका सहयोग भी कर रही है. इनमें से 108 रैयतों ने मुआवजा ले भी लिया है.

प्रत्यक्ष के साथ अप्रत्यक्ष रोजगार भी बढ़ा :

एसटीपीएल के मुख्य वित्तीय अधिकारी अभय शंकर शुक्ला ने बताया कि थर्मल पावर प्लांट के निर्माण से पूर्व ही परियोजना प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए कई योजनाएं चला रहा है. जिनमें विद्यालयों के भवनों का जीर्णोद्धार,  स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए कार्य, क्षेत्र में अन्य जनोपयोगी निर्माण, बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण एवं विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति जैसी योजनाएं शामिल है. साथ ही प्रत्यक्ष रोजगार के अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रूप से रेस्टोरेंट, ठेला, खोमचा, सब्जी विक्रेता, किराना, दुकानदार आदि को भी लाभ मिल रहा है. हर माह तकरीबन 5 करोड़ रुपये की खरीदारी यहां के अधिकारी, कर्मी व श्रमिक आस-पास के क्षेत्र से ही करते हैं. इस प्रकार एक साल में तकरीबन 60 करोड़ रुपये इसी क्षेत्र के लोगों के हाथों में जा रहा है. ऐसे में प्लांट निर्माण में बाधक बनना क्षेत्र के विकास में बाधक बनने जैसा है.

कहते हैं एसडीएम :
किसानों के द्वारा किसी भी प्रकार के विरोध-प्रदर्शन की जानकारी पहले से देने के बात सामने नहीं आई है. जबकि किसी भी प्रकार के धरना-प्रदर्शन आदि जानकारी पूर्व में ही देनी होती है. पुलिस अधीक्षक ने इसी मुद्दे पर बैठक बुलाई थी और काम में बाधा डालने वालों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश एसटीएपील के अधिकारियों को दिया है. किसी भी प्रकार से कानून को हाथ मे लेने वालों को नहीं बख्सा जाएगा.
धीरेन्द्र कुमार मिश्र
अनुमंडल पदाधिकारी, बक्सर सदर








Post a Comment

0 Comments