सिय-पिय मिलन महोत्सव : धर्माचरण से होता है समस्त पापों का नाश : जगतगुरु राजेन्द्र देवाचार्य

कहा कि मनुष्यों को सत्संग तो करना ही चाहिए लेकिन इससे भी आवश्यक है की कुसंग का त्याग करना चाहिए. क्योंकि कुसंग और सत्संग की बराबर महिमा है. जिस प्रकार सत्संग करने से कुसंग समाप्त होता है ठीक उसी प्रकार क्षण भर का भी कुसंग बरसों वर्ष किए गए सत्संग के प्रभाव को नष्ट कर देता है.







- महर्षि खाकी बाबा की स्मृति में जारी है 54 वां सिय-पिय मिलन महोत्सव
- चौथे दिन रामलीला और रासलीला का हुआ भव्य मंचन 

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : पूज्य श्री खाकी बाबा सरकार के पुण्य स्मृति में चल रहे 54 वें सिय-पिय मिलन महोत्सव के चौथे दिन श्रीमद्भागवत कथा के तहत मलूक पीठाधीश्वर जगदगुरू श्री राजेन्द्र देवाचार्य जी महाराज ने कहा कि धर्म आचरण का विषय है क्योंकि धर्म के आचरण से मनुष्य के समस्त पापों का नाश हो जाता है. महाराज श्री ने धर्म की व्याख्या करते हुए कहां की वेदों में जिनका विधान है वही धर्म है और जिसका निषेध है वह अधर्म है. उन्होंने कहा की धर्म का थोड़ा सा भी आचरण बड़े से बड़े भय से भी हमारी रक्षा करता है. महाराज श्री ने कहा कि पाप का मूल कारण वासना है. जब तक वासना का नाश नहीं होता है तब तक वासना पाप उत्पन्न करते रहती है. 


उन्होंने कहा कि भागवत कथा श्रवण हरि नाम संकीर्तन और विशुद्ध वैष्णव धर्म के आचरण से ही वासना विनष्ट होती है और मनुष्य निष्पाप हो जाता है. महाराज श्री ने कहा कि मनुष्यों को सत्संग तो करना ही चाहिए लेकिन इससे भी आवश्यक है की कुसंग का त्याग करना चाहिए. क्योंकि कुसंग और सत्संग की बराबर महिमा है. जिस प्रकार सत्संग करने से कुसंग समाप्त होता है ठीक उसी प्रकार क्षण भर का भी कुसंग बरसों वर्ष किए गए सत्संग के प्रभाव को नष्ट कर देता है.

महाराज श्री ने कुसंग को सर्वनाश का कारण बताते हुए कहा की कुसंग का त्याग ही सबसे बड़ा सत्संग है. उन्होंने कहा कि कई बार जीवन भर भजन कीर्तन करने वाला धर्म का आचरण करने वाला व्यक्ति भी मृत्यु के समय प्रभु के नाम का स्मरण नहीं कर पता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिनके चिंतन में कभी भी हरि गुरु और संत के प्रति अपराध नहीं बनता है वही व्यक्ति मृत्यु के समय भगवान का स्मरण कर पता है और मोक्ष प्राप्त करता है.


इसके पूर्व महोत्सव के चौथे दिन नित्य की भांति आज प्रातः काल से ही आश्रम में विभिन्न धार्मिक आयोजन प्रारंभ हो गए. आश्रम  के परिकरो द्वारा सर्वप्रथम श्री रामचरितमानस जी का नवाह पारायण पाठ किया गया. तत्पश्चात दामोह की संकीर्तन मण्डली के द्वारा नव दिवसीय अखण्ड अष्टयाम हरिकीर्तन आज चौथे दिन भी जारी रहा.

रासलीला : 

रासलीला में राष्ट्रपति पदक प्राप्त ब्रज कोकिल स्वामी फतेह कृष्ण शर्मा के निर्देशन में भक्त दामा चरित्र का भव्य मंचन किया गया.

रामलीला :

महोत्सव के दौरान प्रतिदिन चलने वाली रामलीला के तहत आश्रम के परिकरो के द्वारा सीता जन्म एवँ महर्षि विश्वामित्र आश्रम आगमन से अहिल्योद्धार तक की लीला का भव्य मंचन किया गया.






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