त्रेता युग से चली आ रही परंपरा आज भी कायम: साधु संतों के मंत्रोच्चार के बीच शुरु हुई पंचकोसी परिक्रमा ..

राक्षसों का अन्त करने के पश्चात अहिरौली स्थित गौतम ऋषि के आश्रम पहुंचे हुए थे. जहां शिला के रूप में पड़ी माता अहिल्या का उद्धार भी किया था. उसके बाद उन्होंने नारद ऋषि के आश्रम नदांव, उद्यालक ऋषि के आश्रम नुआंव, भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर मैं ऋषियों का आशीर्वाद लेने के बाद अंत में महर्षि विश्वामित्र के आश्रम चरित्रवान पहुंचे थे. सभी ऋषियों के आश्रम पर उन्होंने अलग-अलग प्रसाद खाया था तब से यह परंपरा चली आ रही है.








- पहले पर आओ अहिरौली को रवाना हुए साधु-संत व श्रद्धालु भक्त
- 6 दिसंबर तक चलेगी पंचकोशी यात्रा चरित्रवन होगा आखिरी पड़ाव

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : त्रेता युग से चली आ रही परंपरा के तहत विश्वप्रसिद्ध पंचकोशी परिक्रमा मेला आज से शुरु हो गई. जो कि आगामी छह दिसम्बर तक चलेगी. पांच दिवसीय इस मेले का शुभारंभ सन्त समाज के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच किया गया. पंचकोशी परिक्रमा समिति के तत्वावधान में बसांव पीठाधीश्वर श्री अच्युत्प्रापन्नाचार्य जी महाराज के नेतृत्व में सन्त समाज की यात्रा निकाली गई.

परिक्रमा की शुरुआत पौराणिक रामरेखा घाट से गंगाजल लेकर रामेश्वर नाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद हुई. यात्रा जिला के प्रमुख घाट रामरेखा से रवाना हो गई जो अहिरौली तक जाएगी. जहां न्याय दर्शन के प्रणेता महर्षि गौतम के आश्रम माता अहिल्या के मंदिर में पूजा अर्चना की जाएगी.

यात्रा का पहला पड़ाव आज यहीं होगा. जहां आज बिहार यूपी और झारखंड से श्रद्धालु पहुंच अहिल्या माता के मंदिर में दीप जला सुख-शांति की कामना कर रहे हैं. पूजन सामग्री, श्रृंगार प्रसाधन, गुरही जलेबी से लेकर चाट-समोसे की दुकानों के साथ तमाम दुकानें सजी हुई हैं.

भगवान श्रीराम ने की थी पांच कोस की यात्रा : 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग में अयोध्या से श्री राम-लक्ष्मण बक्सर में महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में शिक्षा ग्रहण करने पहुंचे हुए थे इस दौरान ऋषि-मुनियों पर अत्याचार कर रहे राक्षसों का अन्त करने के पश्चात अहिरौली स्थित गौतम ऋषि के आश्रम पहुंचे हुए थे. जहां शिला के रूप में पड़ी माता अहिल्या का उद्धार भी किया था. उसके बाद उन्होंने नारद ऋषि के आश्रम नदांव, उद्यालक ऋषि के आश्रम नुआंव, भार्गव ऋषि के आश्रम भभुअर मैं ऋषियों का आशीर्वाद लेने के बाद अंत में महर्षि विश्वामित्र के आश्रम चरित्रवान पहुंचे थे. सभी ऋषियों के आश्रम पर उन्होंने अलग-अलग प्रसाद खाया था तब से यह परंपरा चली आ रही है कि हर वर्ष श्रद्धालु सभी आश्रमों की परिक्रमा करते हैं और वहां जो प्रसाद भगवान ने खाया था वही प्रसाद वह भी ग्रहण करते हैं. अहिरौली में आज पूड़ी-पुआ आदि का प्रसाद ग्रहण किया जाता है.

प्रशासन भी है तैयार :

पंचकोशी परिक्रमा को लेकर जिला प्रशासन एक सप्ताह पहले से ही तैयारी में जुटा हुआ है. मेले में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो इसकी व्यवस्था पहले से कर लिया गया है. पानी, रोशनी, साफ सफाई के साथ सुरक्षा के दृष्टि से जगह जगह मजिस्ट्रेट और महिला पुरुष पुलिस बल को तैनात किया गया है. जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल और अनुमंडल पदाधिकारी धीरेंद्र मिश्रा के साथ-साथ नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम भी सभी स्थलों का जायजा लेते देखे गए.






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