पुण्यतिथि पर याद किए गए न्याय और साहित्य को समर्पित रहे अधिवक्ता स्व० घनश्याम मिश्र

उन्होंने जन नायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज के अध्यापक के तौर पर सेवा प्रदान की एवं भोजपुरी साहित्य के लिये अद्वितीय योगदान प्रदान किया है, जिसमें गीता का भोजपुरी अनुवाद अमरावती कथा जिसका एक अंश चाँदी का झुनझुना एम०ए० में पढ़ाया भी जाता है. 







- दिवंगत अधिवक्ता स्व घनश्याम मिश्र की मनी 18 वीं पुण्यतिथि
- जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने की श्रद्धांजलि सभा में शिरकत, किया नमन

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिला अधिवक्ता संघ के तत्वधान में शनिवार को वरिष्ठ अधिवक्ता स्व० घनश्याम मिश्र की 18 वीं पुण्यतिथि पर उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए उन्हें याद किया गया. वक्ताओं ने कहा कि वह आजीवन न्याय के पक्षधर रहे. उन्होंने जन नायक कर्पूरी ठाकुर लॉ कॉलेज के अध्यापक के तौर पर सेवा प्रदान की एवं भोजपुरी साहित्य के लिये अद्वितीय योगदान प्रदान किया है, जिसमें गीता का भोजपुरी अनुवाद अमरावती कथा जिसका एक अंश चाँदी का झुनझुना एम०ए० में पढ़ाया भी जाता है. उनकी अन्य रचनाओं में चकबन्दी विधान एवं तुलसीकृत पार्वती मंगल एवं जानकी मंगल का भोजपुरी अनुवाद भी काफी प्रचलित हुआ. 

कार्यक्रम में स्व घनश्याम मिश्र को श्रद्धांजलि अर्पित की गई. कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला एवं सत्र न्यायाधीश आनन्द नंदन सिंह द्वारा की गयी. मौके पर प्रधान न्यायाधीश आनन्द मोहन सिंह के साथ ही अन्य न्यायिक पदाधिकारी उपस्थित थे.

कार्यक्रम का संचालन वरीय अधिवक्ता रामेश्वर प्रसाद वर्मा के द्वारा किया गया. कार्यक्रम में की अध्यक्षता अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष बबन ओझा द्वारा की गयी मौके पर अधिवक्ता संघ के महासचिव विन्देश्वरी प्रसाद पाण्डेय, सरोज उपाध्याय, विष्णुदत्त द्विवेदी, गणेश ठाकुर, हृदय नारायण सिंह, रामजी मिश्रा, मनीष पाठक, मनीष पाण्डेय के अलावे उनके ज्येष्ठ पुत्र कन्हैया मिश्र, कपिन्द्र किशोर, वरिष्ठ पत्रकार बबलू उपाध्याय ने भी पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम में आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापन उनके पुत्र अधिवक्ता संजय मिश्रा ने दिया.










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