न्यायालय ने अपने आदेश पर प्रशासन को यह निर्देशित किया है कि वह इस संदर्भ में पंचायती राज अधिनियम के नियमों के आलोक में ही फैसला दे इससे यह स्पष्ट हो गया की शुक्रवार को जो मत विभाजन कराया गया था वह रद्द हो गया है.
- मत विभाजन के शासन के द्वारा तिथि निर्धारित करने को न्यायालय ने बताया गलत
- अब पंचायती राज विभाग के नए निर्देशों के आलोक में कार्य करेगा प्रशासन
बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : सदर प्रखंड प्रमुख फुलपातो देवी को अविश्वास प्रस्ताव में हराने का दावा करने वालों को पटना उच्च न्यायालय से बड़ा झटका लगा है. न्यायालय ने 9 फरवरी जारी अपने आदेश में शुक्रवार को हुए मत विभाजन की प्रक्रिया को गलत ठहराया है. न्यायालय का कहना है कि पंचायती राज अधिनियम की जिस शक्ति का प्रयोग करते हुए प्रशासन के द्वारा विभाजन की तिथि निर्धारित की गई थी, वह अधिनियम पूर्व में ही रद्द किया जा चुका है. इस संदर्भ में 8 फरवरी को भी पंचायती राज विभाग के तरफ से जारी पत्र में स्पष्ट निर्देश दिया गया है. जिसे न्यायालय के संज्ञान में लाया गया है. जिसके आलोक में भविष्य में जब मत विभाजन होगा तो प्रशासन के द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते हुए परिणाम घोषित किया जाएगा. न्यायालय के इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि शुक्रवार को हुआ मत विभाजन मान्य नहीं है.
न्यायालय के आदेश के संदर्भ में में जानकारी देते हुए प्रखंड प्रमुख प्रतिनिधि रमेश राय उर्फ मटरु राय ने बताया कि अविश्वास प्रस्ताव पर पहली बार निर्धारित तिथि को चुनाव नहीं होने के बाद दोबारा मत विभाजन के लिए तिथि निर्धारण का फैसला ही गलत था. क्योंकि एक बार चुनाव की प्रक्रिया संपन्न नहीं होने पर दोबारा एक साल के बाद ही अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है. ऐसे में न्यायालय ने अपने आदेश पर प्रशासन को यह निर्देशित किया है कि वह इस संदर्भ में पंचायती राज अधिनियम के नियमों के आलोक में ही फैसला दे इससे यह स्पष्ट हो गया की शुक्रवार को जो मत विभाजन कराया गया था वह रद्द हो गया है.
कहते हैं प्रखंड विकास पदाधिकारी :
न्यायालय का फैसला प्राप्त हुआ है लेकिन उसमें स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. ऐसे में विभागीय निर्देश के आलोक में आगे की कार्रवाई की जाएगी.
रोहित कुमार मिश्र
प्रखंड विकास पदाधिकारी,
बक्सर
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