बड़ी ख़बर : बसपा नेता खूंटी यादव के हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा ..

इटाढ़ी गुमटी के पास स्कोर्पियो पर सवार बसपा के प्रदेश महासचिव खूंटी यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हमले में मृतक के पुत्र यशवंत सिंह भी घायल हो गए थे. उन्हीं के बयान के आधार पर इस मामले में नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी. 








-मई 2018 में हुई थी बसपा नेता की हत्या
-मामले में दर्ज कराई गई थी नामजद प्राथमिकी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : बसपा नेता खूंटी यादव हत्याकांड में न्यायालय ने दो दोषसिद्ध हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा मुकर्रर की है. अधिवक्ता संघ के सूत्रों के अनुसार नगर थाना कांड संख्या 261/2018 तथा सत्रवाद संख्या 105/2020 में अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय बिजेन्दर कुमार ने इस वाद के नामजद अभियुक्तों रामेश्वर सिंह और कंचन सिंह को 302 भादवि में आजीवन कारावास, 307 भादवि में 10 साल और 27 शस्त्र अधिनियम में 5 साल की सजा सुनाई है. वाद के शेष 5 अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव व सन्देह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.

लोक अभियोजक गोपाल जी राम ने बताया कि 18 मई 2018 को रात्रि पौने 9 बजे नामजद अभियुक्तों ने इटाढ़ी गुमटी के पास स्कोर्पियो पर सवार बसपा के प्रदेश महासचिव खूंटी यादव की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस हमले में मृतक के पुत्र यशवंत सिंह भी घायल हो गए थे. उन्हीं के बयान के आधार पर इस मामले में नामजद प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी. 

पुलिस ने बक्सर नगर थाना कांड संख्या 261/2018 अंतर्गत 302,307,120 बी,34 भादवि एवं 27 आर्म्स एक्ट में प्राथमिकी दर्ज की थी. दोषसिद्ध हत्यारों को हर धारा में कारावास की सजा के साथ अर्थदंड भी दिया गया है. भादवि की धारा 302 के तहत 50 हज़ार और धारा 307 के तहत भी 50 हज़ार रुपये का अर्थ दंड लगाया गया है. साथ ही 27 आर्म्स एक्ट के तहत पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है. अर्थ दंड नहीं देने पर 6 महीने की कारावास की सजा और भुगतनी होगी. हत्यारों को सजा भुगतने के लिए केंद्रीय कारा बक्सर भेज दिया गया है. इस मामले में बचाव पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता बबन ओझा एवं उमेश कुमार ने अपना अपना पक्ष रखा.

मामले के मुख्य आरोपी चितरंजन सिंह की भी हो चुकी है हत्या : 

खूंटी यादव हत्याकांड के मुख्य आरोपी अधिवक्ता चितरंजन सिंह की भी अपराधियों ने 5 वर्ष पूर्व ही गोली मारकर हत्या कर दी है. वह न्यायालय से अपना काम निबटा कर अपने गांव सदर प्रखंड के जगदीशपुर जा रहे थे इसी बीच हमलावरों ने उन्हें न्यायालय के गेट के बाहर निकलते ही गोलियों से भून दिया. चितरंजन सिंह पर यह आरोप था कि उन्होंने तीन लाख रुपये की सुपारी देकर खूंटी यादव की हत्या करायी थी. खूंटी यादव की हत्या भूमि विवाद में की गयी थी. उसमें खुलासा हुआ था कि चितरंजन, ददन चौधरी, काउन चौधरी, रामेश्वर चौधरी ने दिनेश राय से खूंटी यादव की हत्या करने के लिए कहा था. वहीं जमीन की वारिस हत्या के मामले में भी चितरंजन सिंह का नाम आया था. जिसमें वह जेल भी गए थे.






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