वेतन प्रोन्नति को लेकर न्यायिक कर्मियों ने मनाया काला दिवस ..

मुख्य न्यायाधीश पटना उच्च न्यायालय को लिखे गए पत्र में न्यायालय कर्मचारी संघ ने कहा है कि 1 अप्रैल 2003 के प्रभाव से पुनरीक्षित वेतनमान ,नियमित नियुक्ति, प्रोन्नति अनुकंपा नियुक्ति का कार्य ठप पड़ा हुआ है. 













- व्यवहार न्यायालय के कर्मियों ने काला बिल्ला लगाकर किया कार्य
- कहा - मांगे पूरी नहीं होने पर 1 जुलाई से करेंगे अनिश्चितकालीन हड़ताल

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : व्यवहार न्यायालय के कर्मचारियों ने अपने पुनरीक्षित वेतनमान, कालबद्ध प्रोन्नति, अनुकंपा नियुक्ति एवं शेट्टी आयोग की अनुशंसाओं को लागू करने में हो रहे विलंब को लेकर सोमवार को काली पट्टी लगाकर कार्य संपादित किया और सोमवार का दिन को काला दिवस के रूप में मनाया.

बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के जिला अध्यक्ष अखौरी राकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों के वेतनमान सुधार करने के लिए शेट्टी आयोग ने 1 अप्रैल 2003 के प्रभाव से कर्मचारियों को नया वेतनमान एवं प्रोन्नति का प्रस्ताव दिया था लेकिन 21 साल बीत जाने के बाद भी राज्य के अधीनस्थ अदालतों के न्यायिक कर्मियों को वेतन पुनरीक्षण व प्रोन्नति नहीं दी जा सकी है. मुख्य न्यायाधीश पटना उच्च न्यायालय को लिखे गए पत्र में न्यायालय कर्मचारी संघ ने कहा है कि 1 अप्रैल 2003 के प्रभाव से पुनरीक्षित वेतनमान ,नियमित नियुक्ति, प्रोन्नति अनुकंपा नियुक्ति का कार्य ठप पड़ा हुआ है. 

श्री अखौरी ने बताया कि आज स्थिति है कि न्यायालय में एक कर्मचारी को चार से पांच वरीय पदों का प्रभारी बनाया गया है. ससमय कार्य संपादित नहीं होने से कर्मचारियों को न्याय प्रशासन से प्रताड़ित होना पड़ता है. इससे कर्मचारी अवसादग्रस्त होकर कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं.
श्री अखौरी ने बताया कि राज्य अधीनस्थ न्यायालयों के कर्मचारियों के बीच हताशा, तनाव और आत्महत्या करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है एवं अल्प वेतन एवं बिना प्रोन्नति के दशकों से कार्य करने से उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा में भी गिरावट हो रही है. 

उन्होंने बताया कि न्यायालय के चतुर्थवर्गीय कर्मचारियों की और बदतर स्थिति है उन्हें जानवरों के तरह खटाया जा रहा है, इसलिए ऐसे कर्मचारियों में भी हताशा है. बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ने कहा कि यदि मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार नहीं किया गया तो कर्मचारी आगामी 1 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने को विवश हो जायेंगे.










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