तिवारीपुर निवासी आइएएस अधिकारी का निधन, राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार ..

अंतिम समय में घर का कोई सदस्य उनके साथ नहीं था. अलबेला जीवन वीरानगी में अकल्पित ढंग से गुजर गया. चंद्रगुप्त मौर्य की तरह देह त्याग के समय कोई नहीं रह पाया, बेटी हैदराबाद से फ्लाइट से उतरी तो पिता अपनी अंतिम यात्रा के अंतिम पड़ाव पर निश्चिंत सो गए थे.








-बिहार भूमि ट्रिब्यूनल के सदस्य के रूप में कर रहे थे कार्य
-72 वर्ष की अवस्था में पटना में ली अंतिम सांस

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : सेवानिवृत्त आई ए एस अधिकारी जिले के तिवारीपुर गांव निवासी डॉ चंद्रगुप्त अशोक वर्धन का पटना में निधन हो गया है. राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें बिहार भूमि ट्रिब्यूनल का सदस्य भी बनाया था जो वर्तमान में भी उस पद पर थे. बक्सर प्रखंड के तिवारीपुर गांव के प्रख्यात साहित्यकार प्रो रामेश्वर नाथ तिवारी के बड़े सुपुत्र थे और उन्होंने ने भी कविता कहानियां और बिहार के ग्रामीण परिदृश्य पर कई पुस्तकें लिखी हैं वह करीब 72 वर्ष के थे. उनका अंतिम संस्कार पटना में ही कर दिया गया. जिला प्रशासन पटना के ओर से सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया है. 

1980 बैच के आइएएस अधिकारी डॉ सी. अशोकवर्धन बिहार कैडर के थे. उन्हें पटना विश्वविद्यालय, पटना से राजनीति विज्ञान में मास्टर डिग्री के लिए स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया था. उन्होंने अपनी पीएच.डी.  पटना विश्वविद्यालय, पटना से कार्मिक प्रबंधन और वित्तीय प्रशासन में विषय पर पूरी की थी. आइएएस में शामिल होने से पहले. वह रांची कॉलेज, रांची और पटना कॉलेज में राजनीति विज्ञान संकाय में  प्रोफेसर थे. 

अपने प्रतिष्ठित शैक्षणिक करियर के दौरान उन्हें कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए. उन्होंने अध्ययन दौरे और प्रशिक्षण जैसे विभिन्न अवसरों पर कई विदेशी देशों का भी दौरा किया है. 

राज्य और केंद्र सरकारों में कई जिम्मेदार पदों के बीच, डॉ. अशोकवर्धन ने गोड्डा, बिहार के एसडीओ, रांची क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, सीतामढी जिले के कलेक्टर, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर सचिव, राजस्व बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य, संसदीय कार्य विभाग के सचिव, माध्यमिक शिक्षा एवं राजभाषा विभाग के सचिव के रहे. उन्हें भारत में भूमि राजस्व और भूमि रिकॉर्ड प्रशासन के पुनरोद्धार (ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार) पर समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था.

वर्तमान में डॉ. अशोकवर्धन बिहार सरकार के बिहार भूमि ट्रिब्यूनल के  सदस्य हैं. उनके नाम कई प्रकाशन हैं, जिनमें भारत के 14 राज्यों में लैंड रिकॉर्ड मैनेजमेंट और रीडिंग्स इन लैंड रिफॉर्म्स नामक पुस्तकें शामिल हैं.

डॉ चंद्रगुप्त अशोक वर्धन ने अपनी साहित्यिक कृतियों में कल्पित कहानियां नामक संग्रह लिखी है, अन्य पुस्तकें प्रकाशित भी हुई है.

वीरानगी में गुजरा अंतिम समय : 

सूत्र बताते है कि डॉ चंद्रगुप्त, चंद्रगुप्त की तरह अंतिम सांस ले ली है. अंतिम समय में घर का कोई सदस्य उनके साथ नहीं था. अलबेला जीवन वीरानगी में अकल्पित ढंग से गुजर गया. चंद्रगुप्त मौर्य की तरह देह त्याग के समय कोई नहीं रह पाया, बेटी हैदराबाद से फ्लाइट से उतरी तो पिता अपनी अंतिम यात्रा के अंतिम पड़ाव पर निश्चिंत सो गए थे. गोया कि कल्पित कहानियों के लेखक को अकल्पित अंतिम यात्रा का एहसास था इसलिए जिंदगी बिना किसी राग-द्वेष और मोहमाया के तरह गुजर सी गई. हालांकि उनके रिश्तेदार अशोक उपाध्याय ने बताया कि उनके देहांत के समय उनकी धर्मपत्नी एवं छोटी पुत्री साथ में थे.

पूर्व आइएएस अधिकारी  के निधन पर आचार्य भारत भूषण महाराज तथा अन्य लोगों ने शोक व्यक्त किया है. बेगूसराय के लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी दीपक कुमार ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति की कामना की. उन्होंने कहा कि स्व वर्धन उनके गुरुजी थे. BIPARD में उनके द्वारा ही रेवेन्यू की ट्रेनिंग मिली थी.






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