उन्नीस-बीस के मुकाबले में लालटेन भारी, समीकरण ध्वस्त कर बसपा भी कर रही जीत की तैयारी ..

लगभग यह स्पष्ट हो गया है कि तीन लाख तक वोट निर्णायक होंगे और जीतने वाली पार्टी के लगभग इतने ही वोट होंगे. मुकाबला उन्नीस-बीस का ही होगा और यह तस्वीर भी साफ हो रही है कि चुनाव में हार-जीत की रेस में केवल तीन पार्टियां ही रहेंगी. 

 




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-बक्सर में कुछ-कुछ साफ हुई तस्वीर, लेकिन कड़े मुकाबले के आसार 
-भाजपा को मोदी मैजिक पर भरोसा, आनन्द मिश्र के आने ने दिलचस्प हुआ मुकाबला

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : लोकसभा चुनाव 2024 का मतदान संपन्न हो जाने के बाद लोकसभा क्षेत्र में तमाम राजनीतिज्ञ हार-जीत के अलग-अलग दावे कर रहे हैं. लगभग 55 फीसद मतदान होने के बाद हो रहे इन दावों से जो बात निकल कर आई है उससे लगभग यह स्पष्ट हो गया है कि तीन लाख तक वोट निर्णायक होंगे और जीतने वाली पार्टी के लगभग इतने ही वोट होंगे. मुकाबला उन्नीस-बीस का ही होगा और यह तस्वीर भी साफ हो रही है कि चुनाव में हार-जीत की रेस में केवल तीन पार्टियां ही रहेंगी. 

ऐसा माना जा रहा है कि 10 लाख में से डेढ़ लाख वोट अन्य सभी प्रत्याशियों को मिलेंगे जबकि साढ़े आठ लाख में जीत-हार का खेल होगा. मजेदार बात यह भी है कि इस बार नोटा पर कम वोट आने की उम्मीद है क्योंकि सभी प्रत्याशियों से ऊब चुके मतदाताओं को विकल्प के रूप में  निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व आइपीएस आनन्द मिश्र भी हैं.

पहले से इस सीट पर काबिज तथा मोदी मैजिक के भरोसे बैठी भाजपा को यह उम्मीद है कि ब्राह्मण भले ही पूर्व आइपीएस से सम्मोहित हो लेकिन राजपूत वोटर्स उनके साथ रहेंगे. हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा रहा कि राजपूत वोटर सुधाकर सिंह के प्रभाव में होने के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशी आनंद मिश्र के पक्ष में भी बंटे हैं. अश्विनी चौबे का टिकट कटने के बाद ऐसा माना जा रहा था कि पार्टी में भितरघात की संभावना बन रही है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वह चुनाव प्रचार में भले ही बक्सर नहीं पहुंचे लेकिन उन्होंने उनके सभी समर्थक भाजपा के साथ बने रहे.

उधर सुधाकर सिंह जो हमेशा विकासवाद की बात करते हैं उनके समर्थकों का यह मानना है कि तेजस्वी यादव के द्वारा अपने 17 महीने के कार्यकाल में सरकारी नौकरी का जो पिटारा खोला गया वह हर जाति-वर्ग के लोगों के मन में उनके प्रति सहानुभूति पैदा कर रहा है. इसके अतिरिक्त यादव और मुस्लिम के साथ-साथ पिछड़ा वर्ग के लोग भी मजबूती से राजद के साथ हैं ऐसे में अगर 50% भी राजपूत साथ आएं तो उनकी जीत को कोई रोक नहीं सकता. 
बहुजन समाज पार्टी जो कि पिछले चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी. उसे भी अबकी बार अपने कैडर वोटर्स के साथ-साथ यादव और कुशवाहा वोटर्स का साथ मिला है. हालांकि कुशवाहा वोटर्स के बारे में यह कहा जा रहा है कि वह उपेंद्र कुशवाहा के आह्वान के बावजूद राजद पर ज्यादा मेहरबान हैं. इसके अतिरिक्त बसपा सुप्रीमो कुमारी मायावती की चुनावी समर्थकों को फलदायी साबित होती दिखाई दे रही है. पूर्व विधायक रामचंद्र यादव का गुणा-गणित उन्हें तीन लाख तक के वोट का आंकड़ा दे रहा है. निश्चय ही इतने वोट निर्णायक हो सकते हैं. ऐसे में यह भी संभावना है कि हाथी पर सवार होकर अनिल कुमार दिल्ली पहुंच जाएं.

इस चुनाव में चर्चा में रहे तथा अपने सरल और स्पष्ट वक्तव्यों और ईमानदार छवि से आम जनमानस के बीच अपनी अलग पहचान बनाने वाले पूर्व आइपीएस आनंद मिश्र सर्वजन के बीच लोकप्रिय हो चुके हैं. ऐसे में उन्हें सभी जातियों या यूं कहें बुद्धिजीवियों के वोट मिल रहे हैं. उन्होंने दलों के समीकरण को भी तोड़ा है. कई दलों के प्रभाव में रहे लोग भी उनसे जुड़े हैं और यह मानकर अपना वोट उन्हें दिया है कि जीत अथवा हार कुछ भी हो आनंद मिश्र सबसे बेहतर प्रत्याशी हैं. हालांकि विभिन्न कारणों से अंतिम समय मे आनंद मिश्र के समर्थक वोटर्स में कुछ गिरावट आई है, लेकिन जो वोटर खामोश हैं आनन्द मिश्र को उनपर काफी भरोसा है.

इन सबके साथ ही ददन यादव को यह उम्मीद है कि वह अपने प्रभाव को वोट में बदलेंगे. यह भी माना जा रहा है कि यह चुनाव उनकी राजनीतिक हैसियत तय करेगा. हालांकि विधानसभा चुनाव में उनकी हालत देखने के बाद उनसे किसी भी प्रकार के चमत्कार की उम्मीद नहीं है.









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