मुखिया संघ ने जताया बिहार सरकार का विरोध ..

बताया गया कि सरकार अपने इस फैसले खुद को ग्रामीण इलाकों में कमजोर कर रही है.पंचायती राज के फैसले को संविधान से मिले अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. ग्राम सरकार के अधिकारों का हनन उचित नहीं है. 




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- 15 लाख तक के कार्य को टेंडर से करने का लिया गया था फैसला
- कैबिनेट के इस फैसले का गांव की सरकार के द्वारा हो रहा विरोध

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : प्रदेश की सरकार ने पंचायतों में 15 लाख से कम की लागत की योजनाओं के लिए भी टेंडर कराने का फैसला लिया है. सरकार का मानना है कि इस फैसले से पंचायतों में अब मुखिया और वार्ड सदस्यों की मनमानी पर लगाम लग जाएगी. हालांकि पंचायतों की सरकार ऐसा नहीं मानती है और सरकार के इस निर्णय के विरोध में उतर गई है. मुखिया संघ ने साफ कर दिया है कि उन्हें सरकार का यह फैसला मंजूर नहीं है.

मुखिया संघ के पदाधिकारियों के द्वारा इस संदर्भ में अपना विरोध जाहिर कर यह बताया गया कि सरकार अपने इस फैसले खुद को ग्रामीण इलाकों में कमजोर कर रही है.पंचायती राज के फैसले को संविधान से मिले अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है. ग्राम सरकार के अधिकारों का हनन उचित नहीं है. 

प्रतिनिधियों ने बताया कि ग्राम सभा में पारित योजनाओं के लिए टेंडर नहीं होता है. मिट्टी भरने, चापाकल लगाने, नाली सफाई जैसे कार्य के लिए अगर टेंडर का इंतजार करेंगे तो छह-छह महीने के लिए इंतजार करना पड़ेगा. आज देश में कहीं भी ग्राम सरकार में निविदा प्रक्रिया नहीं है तो नीतीश सरकार को इसकी क्या जरुरत पड़ी यह बात समझ से परे है. यहां तक कि अपने इस फैसले को लागू करने से पहले किसी जिला परिषद, किसी मुखिया से न तो बात की गई, न ही उन्हे जानकारी दी गई. ऐसे में यह पूरी तरह से त्रिस्तरीय ग्राम पंचायत व्यवस्था को प्रभावित करने की कोशिश है. यहां अफसरों का राज कायम करने की कोशिश की जा रही है.

मुखिया संघ ने सीधी चेतावनी देने हुए कहा कि अगर सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया तो व्यापक हड़ताल की जाएगी. साथ ही न्यायपालिका का सहारा लिया जाएगा. अगर इसके बाद भी बात नहीं मानी गई तो सभी मुखिया, जिला पर्षद अपना इस्तीफा दें देगे. मुखिया संघ ने इस दौरान उन एमएलसी को भी चेतावनी दी, जो पंचायतों से निर्वाचित होकर सदन पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि अगर उनकी मांगों को दरकिनार किया गया तो इसका परिणाम  भुगतना होगा.






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