वीडियो : राम की शिक्षा स्थली में अब गंगा नहीं होगी मैली : मंत्री

योजना को पूर्ण करने का प्रस्ताव नगर परिषद के द्वारा विभाग को भेजा गया था. डीपीआर बने के बाद यह योजना कोरोना काल के भेंट चढ़ गई. लेकिन एक बार फिर जल शक्ति मंत्रालय इस योजना को लेकर गंभीर है. उम्मीद है कि इसे जल्द ही शुरु किया जाएगा.


 



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- जल्द ही शुरू होगा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण
- लंबित योजना को पुन शुरू कराए जाने के लिए तत्पर हुआ जल शक्ति मंत्रालय

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : "नगर का गंदा पानी अब गंगा में नहीं बहेगा. नगर परिषद के द्वारा पूर्व से प्रस्तावित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य जल्द ही शुरु होगा और पतित पावनी गंगा को गंदगी से निजात मिलेगी. नगर से जो भी नाले गंगा में बहाए जा रहे हैं उनके गंदे पानी को ट्रीटमेंट करने के बाद गंगा में छोड़ा जाएगा और बाकी बचा गंदा पानी खेती आदि के कार्य में उपयोग में लाया जाएगा." यह कहना है केंद्रीय जल शक्ति राज्य मंत्री राज भूषण निषाद का. 

इस संदर्भ में रविवार को एक प्रेस वार्ता आयोजित कर उन्होंने बताया कि पूर्व में बक्सर में यह योजना शुरु की गई थी लेकिन बाद में निर्माण कंपनी की कार्यशाली को देखते हुए उसे ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया. बाद में नगर परिषद के द्वारा यह प्रस्ताव पुनः मंत्रालय को भेजा गया था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह प्रस्ताव लंबित था जिसे अब गति प्रदान की जाएगी.

ताड़का नाला से लेकर तमाम नालों के माध्यम से गंगा में बहायी जाती है गंदगी :

पतित पावनी गंगा में नगर के ताड़का नाले से लेकर लगभग एक दर्जन छोटे-बड़े नालों का गंदा पानी बहाया जाता है. निश्चय ही गंगा के आंचल को मैला करने में इन नालों की बड़ी भूमिका है. लेकिन अब तक इस संदर्भ में कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया. जिसके कारण प्रतिदिन हजारों लीटर गंदा पानी गंगा में प्रवाहित होता है. ऐसे में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से काफी हद तक गंगा में गंदगी बाहर जाने से रोक लगाई जा सकेगी.

पहले बनी योजना के कारण नगर में हुई थी काफी तोड़फोड़, ब्लैकलिस्टेड हुई कंपनी :

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य नगर में कुछ वर्षों पूर्व शुरू किया गया था, जिसके लिए नगर के विभिन्न इलाकों में सड़क को खोद कर उसमें बड़े-बड़े पाइप डाले गए थे. अच्छी-खासी सड़कों को तोड़ दिए जाने के कारण जनता ने भी काफी कष्ट उठाया था, लेकिन बाद में ट्राई टेक नामक निर्माण एजेंसी की खराब कार्यशैली को देखकर उसे ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था. बाद में 75 करोड़ की यह योजना लगभग 50 फीसद तक कार्य होने के बाद बंद हो गई. पुनः लगभग 175 करोड़ रुपये से इस योजना को पूर्ण करने का प्रस्ताव नगर परिषद के द्वारा विभाग को भेजा गया था. डीपीआर बने के बाद यह योजना कोरोना काल के भेंट चढ़ गई. लेकिन एक बार फिर जल शक्ति मंत्रालय इस योजना को लेकर गंभीर है. उम्मीद है कि इसे जल्द ही शुरु किया जाएगा.

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