आजादी के 77 साल बाद भी नहीं मिली सड़क: चकनी अनुसूचित बस्ती के ग्रामीणों की लड़ाई जारी ..

कहना है कि अनुसूचितों के उत्थान के लिए सरकार कई योजनाओं को चलाने का दावा करती है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. धरातल पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं. ऐसे में उन्होंने मजबूरी में अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी का दरवाजा खटखटाया है. 











- काजीपुर पंचायत के चकनी गांव का मामला
- आजादी के बाद अब तक नहीं बनी है पक्की सड़क

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले के सिमरी प्रखंड अंतर्गत काजीपुर पंचायत के चकनी अनुसूचित बस्ती के निवासी आजादी के 77 वर्ष से ज्यादा हो जाने के बावजूद अब तक बुनियादी सुविधाओं का अभाव झेल रहे हैं. उनकी बस्ती तक जाने के लिए एक पक्की सड़क तक नहीं है. दुर्भाग्य यह है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि अथवा अधिकारी उनकी परेशानियों पर कोई ध्यान नहीं देते. मुखिया एवं स्थानीय प्रशासन से गुहार लगाने के बाद अब चकनी गांव के ग्रामीणों ने अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी का दरवाजा खटखटाया हैं. 

स्थानीय निवासी राम सागर यादव सहित अन्य दर्जनों लोगों ने डुमरांव अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष दायर परिवाद में सड़क निर्माण हेतु गुहार लगाई है. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार पंचायत के मुखिया इम्तियाज अंसारी से पक्की सड़क बनवाने के लिए गुहार लगाई, लेकिन उनके द्वारा यह कह कर टाल- मटोल किया जा रहा है कि जब तक सरकारी जमीन का मापी होकर स्थल चिन्हित नहीं हो जाता है तब तक सडक निर्माण कराना संभव नही है. परिवादी ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि उक्त सरकारी रास्ते पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा जबरन अतिक्रमित कर लिया गया है. वह रास्ते की जमीन पर अपना हक जताते हैं.

सरकार करती है अनुसूचितों के उत्थान का दावा, लेकिन हकीकत कुछ और :

ग्रामीणों का कहना है कि अनुसूचितों के उत्थान के लिए सरकार कई योजनाओं को चलाने का दावा करती है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. धरातल पर उनकी सुनने वाला कोई नहीं. ऐसे में उन्होंने मजबूरी में अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी का दरवाजा खटखटाया है. उम्मीद है कि यहां से उन्हें न्याय अवश्य मिलेगा. 

बीडीओ कहते हैं जानकारी नहीं होने की बात :

इस मामले में स्थानीय प्रखंड विकास पदाधिकारी से उनके गैर-सरकारी नंबर 7542844686 पर बात हो पाई. उन्होंने बताया कि उन्हें अभी इस तरह के मामले की जानकारी ही नहीं है, जबकि ग्रामीणों का कहना है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी को कई बार जानकारी दी गई है. बहरहाल अब देखने वाली बात यह होगी कि अनुचित बस्ती के निवासियों की इस प्रमुख समस्या का निदान कब तक हो पाता है?












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