वीडियो : स्मार्ट मीटर का हुआ विरोध तो काट दी पूरे गांव की बिजली ..

इस संदर्भ में, स्मार्ट मीटर लगाने के लिए पहुंची टीम का विरोध करने के कारण बिजली की आपूर्ति बंद कर दी गई. गांव के परशुराम सिंह ने बताया कि बिजली के बिना बच्चों और वृद्धों की स्थिति गंभीर हो गई है और खेतों में धान की सिंचाई भी प्रभावित हो रही है.

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- सिमरी प्रखंड के मंझवारी पंचायत के मुकुंदपुर गांव का मामला
- राजस्व बढ़ाने के लिए विभाग लग रहा स्मार्ट मीटर

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले के सिमरी प्रखंड के मंझवारी पंचायत के मुकुंदपुर गांव में ग्रामीणों ने स्मार्ट मीटर के खिलाफ व्यापक विरोध किया, जिसके चलते विद्युत कंपनी ने पूरे गांव की बिजली काट दी. डीएम अंशुल अग्रवाल के हस्तक्षेप के बाद गुरुवार की शाम को बिजली आपूर्ति पुनः बहाल की गई. विद्युत आपूर्ति बाधित होने से परेशान ग्रामीणों ने गांव के ही भगवान शिव के मंदिर में एकजुट होकर अपना विरोध व्यक्त किया, उनका कहना था कि सरकार ने आजादी के बाद से उनके गांव को स्मार्ट बनाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है, लेकिन आज स्मार्ट मीटर लगाने की जल्दी हो रही है.

ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि वे स्मार्ट मीटर की प्रणाली को नहीं अपनाना चाहते. उनका तर्क है कि अगर स्मार्ट मीटर वास्तव में लोगों के लिए लाभकारी होते, तो देश के विभिन्न हिस्सों में इसके खिलाफ आंदोलन नहीं हो रहे होते. उन्होंने यह भी कहा कि वे बार-बार स्मार्ट मीटर का रिचार्ज करने में असमर्थ हैं, क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि वे एक महीने का मोबाइल रिचार्ज भी मुश्किल से कर पाते हैं.

गांव में पहले से ही बिजली की तकनीकी खामियां थीं, जिससे लो वोल्टेज की समस्या उत्पन्न हो रही थी. इस संदर्भ में, स्मार्ट मीटर लगाने के लिए पहुंची टीम का विरोध करने के कारण बिजली की आपूर्ति बंद कर दी गई. गांव के परशुराम सिंह ने बताया कि बिजली के बिना बच्चों और वृद्धों की स्थिति गंभीर हो गई है और खेतों में धान की सिंचाई भी प्रभावित हो रही है.

बिट्टू यादव, एक अन्य ग्रामीण, ने गांव की आर्थिक स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि यहां के लोग स्मार्ट फोन का उपयोग भी नहीं करते, ऐसे में वे स्मार्ट मीटर की तकनीकी जटिलताओं को कैसे समझेंगे? उन्होंने कहा कि बिजली एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अब इसे भी प्रशासन द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है.

ग्रामीणों की मांग है कि अगर स्मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य है, तो इसे प्रीपेड की बजाय पोस्टपेड सुविधा में लाया जाए, जिससे रिचार्ज की बार-बार की आवश्यकता समाप्त हो सके. वे इस मुद्दे पर अपना विरोध जारी रखने का संकल्प ले चुके हैं.

गांव की स्थिति भी इस बात का संकेत देती है कि विकास की योजना में अक्सर स्थानीय आवश्यकताओं का ध्यान नहीं रखा जाता. मुकुंदपुर गांव, जहां लगभग 1400 लोग रहते हैं, आज भी सड़क से अछूता है। ऐसे में, स्थानीय निवासी स्मार्ट मीटर की योजना को उनकी मूलभूत आवश्यकताओं के खिलाफ मानते हैं.

बिजली कंपनी के सूत्र बताते हैं कि गांव से विभाग को बहुत कम राजस्व प्राप्त होता है और स्मार्ट मीटर लगा कर इस कमी को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है. इस मामले में बिजली कंपनी के कार्यपालक अभियंता के मोबाइल फोन संख्या 7763814281 पर कई बार फोन करने पर भी उन्होंने जवाब नहीं दिया जिससे कि उनका पक्ष ज्ञात नहीं हो सका. बहरहाल, एक बात तो साफ है कि बिजली कंपनी की मनमानी चरम पर है.

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