बक्सर में हृदयाघात के बढ़ते मामलों पर चिंता : चिकित्सक ने दी जरूरी सलाह

इन दुःखद घटनाओं ने समाज में कई सवालों को जन्म दिया है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि हृदयाघात के मामलों में इस तरह की अचानक मौतें क्यों बढ़ रही हैं, और इनसे बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं? इन्हीं सवालों के उत्तर के लिए हमने बक्सर के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. राजेश मिश्रा, से बातचीत की. 







                                                                   






- अधिवक्ता सुरेंद्र तिवारी की अचानक मौत ने उठाए सवाल, विशेषज्ञ डॉ. राजेश मिश्रा ने बताए हृदयाघात के कारण
- तनाव, अनियमित खान-पान और धूम्रपान जैसे कारणों से बढ़ रहे हैं हृदयाघात के मामले, बचाव के लिए नियमित जांच जरूरी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : स्थानीय व्यवहार न्यायालय में एक वरिष्ठ अधिवक्ता, सुरेंद्र तिवारी, एक मामले में बहस करते समय अचानक बेहोश होकर गिर गए और उनकी मौत हो गई. बताया गया कि उन्हें हृदयाघात हुआ था. इससे पहले भी कुछ समय पूर्व, भाजपा के वरिष्ठ नेता परशुराम चतुर्वेदी की भी इसी तरह एक सभा के दौरान बेहोश होकर मौत हो गई थी. बक्सर के एक नौजवान वेटलिफ्टर, संतोष दूबे, की भी कुछ समय पहले इसी तरह अचानक मौत हो गई थी.

इन दुःखद घटनाओं ने समाज में कई सवालों को जन्म दिया है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि हृदयाघात के मामलों में इस तरह की अचानक मौतें क्यों बढ़ रही हैं, और इनसे बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं? इन्हीं सवालों के उत्तर के लिए हमने बक्सर के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ, डॉ. राजेश मिश्रा, से बातचीत की. उन्होंने हृदयाघात के कारणों और इसके रोकथाम के उपायों पर गहन चर्चा की.

हृदयाघात के कारण :

डॉ. राजेश मिश्रा ने बताया कि हृदयाघात अचानक नहीं होता, बल्कि इसके पीछे कई वर्षों का अनियमित जीवनशैली और स्वास्थ्य समस्याएं छिपी होती हैं. हृदय की धमनियों में वसा और कैल्शियम के जमने के कारण धमनियां संकुचित हो जाती हैं, जिससे रक्त प्रवाह में रुकावट होती है. यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब व्यक्ति उच्च रक्तचाप, मधुमेह, या धूम्रपान जैसी आदतों से पीड़ित हो.

उन्होंने कहा, "हृदयाघात का सबसे प्रमुख कारण तनाव है. आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग मानसिक और शारीरिक तनाव से गुजर रहे हैं। इसके साथ ही, अनियमित खान-पान और शारीरिक व्यायाम की कमी भी हृदयाघात के मामलों में वृद्धि का कारण है."

तनाव और अनियमित जीवनशैली का असर :

डॉ. मिश्रा ने विशेष रूप से जोर देते हुए कहा कि तनाव और अनियमित खान-पान हृदयाघात के पीछे मुख्य भूमिका निभाते हैं. अत्यधिक तनाव से हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे रक्तचाप बढ़ता है और हृदय को सामान्य से अधिक मेहनत करनी पड़ती है. साथ ही, अस्वास्थ्यकर भोजन, जंक फूड, और तली-भुनी चीजों का सेवन धमनियों में फैट जमने का कारण बनता है, जो हृदयाघात की संभावना को बढ़ाता है.

"हृदयाघात अचानक नहीं होता," डॉ. मिश्रा ने कहा, "यह हमारे जीवन के कई वर्षों की गलत आदतों का परिणाम होता है. इसे रोकने के लिए तनाव को कम करना और नियमित रूप से स्वास्थ्य जांच कराना बेहद जरूरी है."

हृदय की बीमारी के लक्षण :

उन्होंने कहा कि कई बार लोग गैस को हृदय की बीमारी समझ लेते हैं और कई बार हृदय की बीमारी को गैस समझ लेते हैं. दोनों ही गलत है. उन्होंने बताया कि छाती में तेज दर्द, बांह में दर्द, जबड़े में दर्द, चलने के दौरान धड़कन तेज हो जाना, सांस फूलना हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं. इनको अनदेखा नहीं करना चाहिए.

हृदयाघात से बचाव के उपाय :

डॉ. मिश्रा ने हृदयाघात से बचने के कई उपाय भी सुझाए. उन्होंने कहा कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से हृदयाघात के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

स्वस्थ आहार : उन्होंने बताया कि हृदय को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार का सेवन करना जरूरी है. फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और कम वसा वाले प्रोटीन से भरपूर आहार दिल की धमनियों को साफ और स्वस्थ रखता है.

नियमित व्यायाम : रोजाना कम से कम 30 मिनट का मध्यम व्यायाम जैसे पैदल चलना, दौड़ना, या तैराकी, हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है.

धूम्रपान का परित्याग : डॉ. मिश्रा ने धूम्रपान को हृदयाघात का सबसे बड़ा कारण बताया. धूम्रपान करने से धमनियों की परतें कमजोर हो जाती हैं, जिससे रक्त का थक्का जमने की संभावना बढ़ जाती है. इसलिए, धूम्रपान छोड़ना हृदय के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

मानसिक तनाव को कम करें : तनाव को कम करने के लिए ध्यान, योग और सांस की तकनीकों का सहारा लेना चाहिए. तनाव कम करने से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि हृदय की धड़कनों को सामान्य रखने में भी मदद मिलती है.


नियमित स्वास्थ्य जांच और डॉक्टर से सलाह :

डॉ. मिश्रा ने यह भी कहा कि जो लोग 40 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं, उन्हें नियमित रूप से हृदय की जांच करानी चाहिए. "हृदयाघात का जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है, और इसलिए ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर की नियमित जांच कराना जरूरी है."

इसके साथ ही, उन्होंने यह सलाह दी कि यदि कोई व्यक्ति सीने में दर्द, असामान्य धड़कन, या सांस लेने में कठिनाई महसूस करता है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें. समय पर चिकित्सा सहायता लेने से कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं.

समय पर सतर्कता ही बचाव का उपाय :

अंत में, डॉ. राजेश मिश्रा ने बक्सरवासियों से अपील की कि वे अपनी जीवनशैली पर ध्यान दें और हृदयाघात जैसे गंभीर स्वास्थ्य संकट से बचने के लिए समय पर सतर्क हो जाएं. "सावधानी ही सबसे बड़ा इलाज है. समय रहते अपनी आदतों में सुधार कर आप अपने और अपने परिवार को इस दुखद स्थिति से बचा सकते हैं."

अचानक हो रही हृदयाघात की घटनाओं ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है. विशेषज्ञों की सलाह पर ध्यान देकर और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर हम इन खतरनाक बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं.

वीडियो : 








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