कहा कि उन्होंने कहा कि किसानों की दुर्दशा से उन्हें कोई मतलब नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि अब ऐसे अधिकारियों और प्रशासनिक कर्मियों के खिलाफ भी मोर्चा खोला जाएगा. बाद में प्रभारी जिला पदाधिकारी डॉ महेंद्र पाल को किसानों ने अपना मांग पत्र सौंपा.
- प्रभारी जिलाधिकारी को सौपा मांग पत्र
- कहा - किसानों की दुर्दशा से नहीं है एसटीपीएल को मतलब
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के किला मैदान से किसानों ने अपने अधिकारों और लंबित मांगों को लेकर एक विशाल चेतावनी मार्च निकाला. जिसके बाद कुछ देर के लिए कलेक्ट्रेट गेट पर बैठकर धरना भी दिया गया. किसान नेता ब्रजेश राय ने एसटीपीएल के नए सीइओ पर उदासीनता बरतने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि किसानों की दुर्दशा से उन्हें कोई मतलब नहीं है. उन्होंने चेतावनी दी कि अब ऐसे अधिकारियों और प्रशासनिक कर्मियों के खिलाफ भी मोर्चा खोला जाएगा. बाद में प्रभारी जिला पदाधिकारी डॉ महेंद्र पाल को किसानों ने अपना मांग पत्र सौंपा.
यह चेतावनी मार्च पुलिस चौकी, ज्योति प्रकाश चौक और अंबेडकर चौक होते हुए कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट पर पहुंचा. वहां किसानों ने घंटों गेट जाम कर नारेबाजी की. प्रदर्शन में हजारों की संख्या में किसान शामिल हुए, जिनके हाथों में झंडे, बैनर और पोस्टर थे. सभा में किसान अपने अधिकारों के लिए एकजुट दिखे.
किसान नेता अशोक तिवारी के हत्यारों को गिरफ्तार करने की मांग :
मार्च का नेतृत्व बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक सिंह ने किया. उन्होंने कहा कि इस रैली के माध्यम से किसानों ने केंद्र सरकार को तीन महीने का अल्टीमेटम दिया है. उनकी मांग है कि बनारपुर के किसान अशोक तिवारी की हत्या के आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और उनके परिवार को न्याय मिले.
प्रतिवर्ष 10% की वृद्धि मानकर दिया जाए मुआवजा :
किसानों ने चौसा थर्मल पावर प्रोजेक्ट से प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा देने की मांग उठाई. इसके अलावा, एनएच परियोजना के लिए अधिग्रहित भूमि का सही मूल्यांकन कर मुआवजा भुगतान सुनिश्चित करने की अपील की. किसानों ने यह भी मांग की कि हर साल जमीन की कीमत में 10% वृद्धि मानकर मुआवजा तय किया जाए.
तीन महीनों का दिया अल्टीमेटम :
रामप्रवेश यादव ने आगे कहा कि 20 मार्च को बक्सर के बनारपुर, कोचाढी और मोहनपुरवा में हुए पुलिसिया अत्याचार के दोषियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि अगर तीन महीने के भीतर किसानों की सभी लंबित मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा. किसानों ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब वे अपने अधिकारों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं करेंगे.
मौके पर रामप्रवेश सिंह, सुरेंद्र सिंह, मुन्ना तिवारी, शैलेश राय, शर्मा तिवारी, नरेंद्र तिवारी, घनश्याम चौधरी समेत सैकड़ो की संख्या में प्रभावित किसान मौजूद थे.
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