दीपों की रोशनी से जगमग हुए गंगा घाट, धार्मिक नगरी में देव-दीपावली का दिखा अलौकिक नजारा

बताया कि इस बार बक्सर नगर में बेहतर ढंग से गंगा घाट सजाकर देव दीपावली मनाने वाले श्रद्धालुओं को सम्मानित करने की भी योजना है. इसके साथ ही जो लोग गंगा घाटों पर देव दीपावली उत्सव में शामिल नहीं हो सके उन्होंने अपने-अपने घरों पर दीप जलाकर उत्सव मनाया.






                                            





- गंगा के पौराणिक रामरेखा घाट से लेकर सभी 32 घाटों पर जले दीप
- गंगा आरती में शामिल हुए श्रद्धालु, बताया गया देव-दीपावली मनाने का कारण

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : देव दीपावली के मौके पर बक्सर नगर के पौराणिक रामरेखा घाट, नाथ बाबा घाट, सती घाट, अहिरौली घाट, सारीमपुर के कालीघाट समेत तमाम 32 गंगा घाटों पर दीप जलाकर उत्सव मनाया गया. जगमग दीपों से घाट रोशन हो रहे थे. इस दौरान श्रद्धालुओं ने दीप दान भी किया. विभिन्न घाटों पर माता गंगा की आरती और विश्व कल्याण की कामना की गई. रामरेखा घाट पर पुजारी अमरनाथ पांडेय, धनजी तिवारी ने गंगा आरती की. आरती में शामिल होने के लिए पूर्व प्रशासनिक अधिकारी व भाजपा नेता मनोज कुमार राय के साथ ही मिथिलेश तिवारी संतोष रंजन राय, महिला मोर्चा की नगर अध्यक्ष कंचन देवी, भाजपा युवा मोर्चा के जिला अध्यक्ष सौरभ तिवारी, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष डॉ शशांक शेखर रेडक्रॉस सचिव डॉ श्रवण कुमार तिवारी, नगर परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि नियामतुल्लाह फरीदी, नप कार्यपालक पदाधिकारी ओमजी यादव, सामाजिक कार्यकर्ता वर्षा पांडेय, सुप्रभात गुप्ता, पप्पू राय आदि मौजूद रहे. 

देव दीपावली आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि इस बार बक्सर नगर में बेहतर ढंग से गंगा घाट सजाकर देव दीपावली मनाने वाले श्रद्धालुओं को सम्मानित करने की भी योजना है. इसके साथ ही जो लोग गंगा घाटों पर देव दीपावली उत्सव में शामिल नहीं हो सके उन्होंने अपने-अपने घरों पर दीप जलाकर उत्सव मनाया.

लोगों को बताया क्यों मनाते हैं देव-दीपावली?

उधर, बक्सर उत्थान मंच के कार्यकर्ताओं ने बड़की सारीमपुर काली घाट पर 551 दीप जलाकर देव दीपावली मनाई गई. संयोजक मुकुंद सनातन ने घाट पर उपस्थित लोगों को देव-दीपावली का महात्म्य बताते हुए कहा कि भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर नामक राक्षस का  वध कार्तिक पूर्णिमा के दिन किया था. जिसके खुशी में  देवी- देवता बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने भगवान शिव की नगरी काशी में पृथ्वी पर आकर स्वयं दीपक जलाकर दिवाली मनाई थी इसी लिए इस त्योहार को देव-दीपावली और और वध के बाद कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाने लगा. जिसका वर्णन महाभारत के कर्ण पर्व में मिलता है. इस दिन दीप दान का भी प्रावधान है. ऐसा मानना है कि आज के  दिन गंगा स्नान करने के बाद दान करने से विशेष पुण्य लाभ अर्जित होता है.

इस कारण से किया था त्रिपुरासुर का वध :

देव-दीपावली की इस कथा के अनुसार तारकासुर का वध भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने वध कर दिया था. तारकासुर के तीन पुत्र तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली थे. अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए उन्होंने ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. इसके बाद उन्होंने एक दूसरा ऐसा वरदान मांगा जिससे उनकी मृत्यु लगभग असंभव हो जाए. 

उन्होंने त्रिपुरासुर का वध करने का संकल्प लिया और त्रिपुरासुर के वध के लिए, भगवान शिव ने एक दिव्य रथ का निर्माण किया. उन्होंने पृथ्वी को रथ बनाया, सूर्य और चंद्रमा को पहिए बनाया और मेरु पर्वत को धनुष बनाया. भगवान विष्णु बाण बने और वासुकी नाग धनुष की डोर बने. फिर भगवान शिव उस असंभव रथ पर सवार हुए और अभिजित नक्षत्र में जब तीनों पुरियां एक सीध में आईं, तो उन्होंने एक ही बाण से तीनों पुरियों को भस्म कर दिया. इस प्रकार, तारकाक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली - त्रिपुरासुर का अंत हुआ. त्रिपुरासुर के वध के बाद भगवान शिव 'त्रिपुरारी' के नाम से प्रसिद्ध हुए.

इस कार्यक्रम में उपस्थित इंद्रजीत चौबे, पंकज उपाध्याय, भाजपा नेता दुर्गेश उपाध्याय, रामजी शाह, मुना शर्मा, सिद्धार्थ पांडेय, रोहित यादव, संजय चौबे, नागेश दत्त पांडेय, राघवेंद्र पांडेय, राज रौशन, मनीष, चंदन मल्लाह, पप्पू मल्लाह, बडक मल्लाह, छोटे लाल शाह, बनारसी यादव, राजकुमार चौधरी, वीरेंद्र कश्यप, संजय सिंह आदि उपस्थित रहे.












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